जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर निकाले अनुग्रह राशि, दो साल के पोते को बनाया गवाह

बड़ी खबर

Update: 2022-02-27 10:31 GMT

'एमपी गजब है सबसे अजब है' ये लाइन आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन सीहोर जिले की आष्टा नगर पालिका ने इसको सच कर दिया है। यहां एक जिंदा व्यक्ति की अंत्येष्टि के लिए 5 हजार रुपये की सहायता राशि और मरने के बाद मिलने वाली अनुग्रह राशि के 2 लाख रुपये निकालने का मामला सामने आया है। पीड़ित को 2 साल बाद समग्र आईडी से नाम हट जाने से मामले की जानकारी लगी, जिसके बाद उसने एसडीएम से मामले की शिकायत की।


समग्र आई डी से नाम हटने पर हुआ खुलासा
जानकारी अनुसार किला निवासी रईस खां (पिता अब्दुल रऊफ खान) समग्र आई से अचानक अपना नाम कटने के चलते बीते एक साल से नगर पालिका के चक्कर काट रहे थे। जब उन्हें समग्र आई से अपना नाम हटने की असल वजह पता चली, तो उनके पैरों से जमीन खिसक गई। आष्टा नगर पालिका ने उनके जीवित होते हुए भी अंत्येष्टि व अनुग्रह की दो लाख पांच हजार रुपये की राशि जारी कर दी और राशि खाते से निकल भी गई। जिंदा व्यक्ति को मृत बता देने के बाद समग्र आई से रईस खां का नाम हटा भी दिया गया।


दो साल के पोते को बनाया गवाह
रईश खां ने बताया कि नगर पालिका के रिकॉर्ड में एक जनवरी 2019 को उसकी मौत होना दर्शाया गया है। वहीं, 15 मार्च 2019 को उनकी अंत्येष्टी के लिए 5 हजार रुपये की सहायता और फिर उसके बाद संबल योजना में मिलने वाली दो लाख रुपये की राशि दूसरे व्यक्ति के नाम से जारी कर दी गई। नगर पालिका ने सिर्फ जिंदा व्यक्ति को मृत मानकर राशि ही जारी नहीं की, बल्कि अनुग्रह राशि जारी करते समय गवाह को भी नहीं देखा गया। रिकॉर्ड में सरकारी अफसर गवाह रखते हैं, रईश खां के मामले में उनके पांच साल के पोते का नाम गवाह के रूप में दर्ज है। जिस समय राशि निकाली गई थी उस समय उनके पोते की उम्र महज दो साल थी।

पीड़ित ने की जांच की मांग
सनसनीखेज मामले के उजागर होने के बाद पीड़ित रईस खां ने एसडीएम विजय मंडलोई से शिकायत की है। पीड़ित ने जांच कर राशि हड़पने वाले लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित की शिकायत पर जांच शुरू की गई है।


Tags:    

Similar News

-->