एनटीसीए की असहमति के बाद भी बाघ विचरण क्षेत्र में संस्थान को मंजूरी, सीएस को लिखा पत्र
मध्यप्रदेश | नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को लिखे पत्र में भोपाल के बाघ विचरण क्षेत्र में इंस्टीट्यूट्स की अनुमति देने पर आपत्ति की थी। इसके बावजूद यहां इंस्टीट्यूट्स को मंजूरी दी गई। गुरुवार को मास्टर प्लान के ड्राफ्ट पर चल रही सुनवाई में अरेरा कॉलोनी के रहवासी प्रभाष जेटली ने 11 अगस्त 2020 को एनटीसीए के सदस्य सचिव डॉ. एसपी यादव की ओर से मुख्य सचिव को लिखा पत्र पेश किया।
इसके अनुसार, भोपाल मास्टर प्लान-2031 के ड्राफ्ट पर एनटीसीए ने टाइगर मूवमेंट इलाके में मास्टर प्लान में इंस्टीट्यूट को अनुमति देने का प्रावधान है, यह उचित नहीं है। बाघ का प्राकृतिक रहवास बिगड़ेगा। रातापानी, कठोतिया, केरवा और कलियासोत बाघ के बहुत अच्छा प्राकृतिक रहवास क्षेत्र बन गया है और इसका संरक्षण किया जाना जरूरी है। उन्होंने मुख्य सचिव से इस पर ध्यान देने को कहा था।जेटली ने कहा कि टी एंड सीपी ने इस पत्र पर ध्यान ही नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि रातापानी अभयारण्य के ईको सेंसिटिव जोन में शामिल गांव कालापानी को भोपाल प्लानिंग एरिया में शामिल किया गया है। इससे एक किमी की दूरी तक कोई निर्माण नहीं हो सकता। लेकिन इससे सटे हुए इलाके की वन भूमि, कृषि भूमि और सरकारी भूमि को पीएसपी (सार्वजनिक, अर्ध सार्वजनिक) किया गया है, इससे यहां और इंस्टीट्यूट खुलेंगे। जेटली पर्यावरण कार्यकर्ता राशिद नूर की तरफ से बात रख रहे थे।