भोपाल न्यूज़: प्रदेश में पांच महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के बावजूद बिजली की ट्रिपिंग (सप्लाई बार-बार बंद-चालू होना) शुरू हो गई है. चुनावी साल है, इसलिए यह ट्रिपिंग मुश्किल बढ़ा सकती है. अभी गर्मी के सीजन में मांग और प्री-मानसून मेंटेनेंस की वजह से बिजली की आंख-मिचौली शुरू हुई है. खास बात ये कि कोर-एरिया को छोड़कर यह ट्रिपिंग होने लगी है, ताकि बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करके बिक्री भी की जा सके. इसके लिए मेंटेनेंस सबसे अहम बहाना है.
ग्रामीण-खेती केफीडर पर दिक्कतें
प्रदेश में घरेलू फीडर पर 24 घंटे और खेती के फीडर पर 10 घंटे बिजली दी जानी है. शहरों के कोर-एरिया को छोड़कर बाकी जगह ट्रिपिंग की समस्या शुरू हो गई है. इसके लिए बहाना मेंटेनेंस का है, जबकि सरकार ने बीते साल से ही यह व्यवस्था लागू कर दी है कि मेंटेनेंस का काम शेड्यूलिंग से हो, ताकि बिजली की कमी न हो. साथ ही कहीं पर ज्यादा समय तक बिजली बंद न करना पड़े. ग्रामीण व खेती के फीडर्स पर सबसे ज्यादा बिजली की ट्रिपिंग शुरू हुई है.
ऐसा है गणित
वर्तमान में करीब 11500 मेगावाट की अधिकतम मांग है. यह गर्मी के कारण है. मानसून की दस्तक से पहले मेंटेनेंस के नाम पर कटौती शुरू हुई है. मांग के मुकाबले बिजली उत्पादन कम है, लेकिन निजी सेक्टर की बिजली ज्यादा है. इसे मिलाकर 22500 मेगावाट की उपलब्धता का दावा है. मौजूदा समय में अधिकतम 4000 मेगावाट उत्पादन हो रहा है, जबकि यह अधिकतम 6000 मेगावाट तक जाता है. 11500 मेगावाट में बाकी करीब 5500 से 6500 मेगावाट का इंतजाम निजी सेक्टर, ग्रिड कोटे व खुले बाजार से किया जाता है. इसमें भी 1000-1500 मेगावाट बिजली बैंकिंग या खुले बाजार में बेच दी जाती है. यही अंतर मांग-आपूर्ति के बीच रह जाता है, जिसके चलते ट्रिपिंग की नौबत आती है.
ट्रिपिंग की वजह
● प्री-मानसून मेंटेनेंस
● हवा-आंधी के नुकसान से● बचने ट्रिपिंग का रास्ता
● फॉल्ट और मरम्मत के कारण
● कमी-आपूर्ति नियंत्रित करने
22500 मेगावाट से ज्यादाबिजली की उपलब्धता
11500 मेगावाट फिलहालअधिकतम मांग
6000 मेगावाट अधिकमत उत्पादन
1000 से 1500 मेगावाटकी बिक्री औसतन