कई भाषाओं में पाठ्यक्रम लाने पर हो रहा कामनए सत्र में शुरू होंगे बहुभाषी कोर्स

Update: 2023-02-01 06:43 GMT

भोपाल न्यूज़: नए अकादमिक सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विवि (एमसीयू) भी अपनी नई पहचान के साथ जाना जाएगा. नए सत्र से विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के अलावा अन्य विषयों और भाषाओं के पाठ्यक्रम छात्र-छात्राओं के लिए शुरू किए जाएंगे. इसकी शुरुआत सिंधी भाषा से की जाएगी. विवि प्रबंधन के अनुसार सिंधी भाषा में कोर्स शुरू करने के लिए बैरागढ़ में संचालित होने वाले नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ सिंधी लैंग्वेज के चेयरमैन से चर्चा की है. एमसीयू का नया भवन बिसनखेड़ी में 50 एकड़ जमीन पर तैयार किया है. यहां कक्षाएं शुरू हो गईं हैं.

भाषा का चयन छात्रों की संख्या और प्लेसमेंट की स्थिति देखकर होगा : विवि के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि आज का दौर मल्टीटैलेंट का है. इसी को ध्यान में रखते हुए अन्य विषयों और भाषाओं के पाठ्क्रम शुरू किए जाएंगे. नई शिक्षा नीति में भी भारतीय भाषाओं पर जोर दिया गया है. एक दिन पहले परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी भाषा के अलावा अन्य भाषाएं सीखने पर जोर दिया है. इससे हम विभिन्न सांस्कृतिक परिवेश से परिचित होते हैं. उन्होंने बताया कि बैरागढ़ में सिंधी भाषी लोगों की संख्या काफी अधिक है. इसके अलावा भोपाल में कई राज्यों के लोग रह रहे हैं. ऐसे में यदि अन्य भाषाओं में विवि में कोर्स शुरू होते हैं, तो छात्र-छात्राओं को काफी आसानी होगी. उन्होंने बताया कि कितनी भाषाओं में कोर्स शुरू होंगे इसका चयन छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार किया जाएगा. इस दौरान देखना होगा कि इन कोर्स में प्लेसमेंट की स्थिति क्या होगी.

एनइपी के तहत 12 भाषाओं का हुआ चयन : बता दें कि यूजीसी ने बीए, बीकॉम और बीएससी जैसे अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की पढ़ाई भी अपनी मातृभाषा करने के लिए गाइड लाइन तैयार की है. यूजीसी नई शिक्षा नीति ( एनइपी) के एक भाग के रूप में, असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू जैसी 12 भारतीय भाषाओं में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक कार्यक्रमों के लिए पाठ्य पुस्तकों के अनुवाद पर काम कर रहा है.

इन भाषाओं में शुरू हो सकते हैं कोर्स : राज्य की आधिकारिक भाषा हिंदी और सिंधी है. इनके अलावा मालवा में मालवी, निमाड़ में निमाड़ी, बुंदेलखंड में बुंदेली, और बघेलखंड और दक्षिण पूर्व में बघेली बोली जाती हैं. इन में से हर एक बोली एक-दूसरे से अलग है. यहां की अन्य भाषाओं में तेलुगू, भिलोड़ी (भीली), गोंडी, कोरकू, नहली, और निहाली (नाहली) आदि शामिल हैं, जो आदिवासी समूहों द्वारा बोली जाती हैं. विवि में इन भाषा में विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर कोर्स शुरू किए जा सकते हैं.

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