हीरा खदान माइनिंग कंपनी को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका, खनन पर लगाई रोक

Update: 2021-10-26 16:19 GMT

एमपी के छतरपुर जिले में बक्सवाहा की 364 हेक्टेयर भूमि पर हीरा खदान (Diamond Mine) माइनिंग कंपनी को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. जबलपुर हाईकोर्ट ने खनन पर तत्काल रोक लगाते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एएसआई को जवाब पेश करने का आदेश दिया है. जुलाई 2021 में आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया के एक सर्वे के बाद दुनिया को पता चला था कि बक्सवाहा में 25 हजार साल से ज्यादा पुरानी रॉक पेंटिंग्स हैं. ये पाषाण युग के मध्यकाल की बताई जा रही हैं. इसी जगह पर हीरा खदान के लिए खुदाई की जाना हैं. इसी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. याचिकाकर्ता ने यह मांग उठाई थी कि जब तक इस पुरातात्विक संपदा के संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते तब तक तत्काल खनन पर रोक लगाई जाए.

सरकार के फैसले को चुनौती

जानकारी के मुताबिक छतरपुर जिले के बक्सवाहा में सोगोरिया गांव के अंतर्गत 364 हेक्टेयर जंगल के इलाके में हीरा खदान के लिए एक निजी कंपनी को खनन की अनुमति दी गई है. याचिकाकर्ता ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी है. उसके मुताबिक ऐसे इलाके में हीरा खनन की इजाजत देना कई मायने में गलत है. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की "सस्टेनेबल डेवलपमेंट' के आदेश की अनदेखी की गयी है. यहां तक कि एनजीटी का पूर्व आदेश भी है जिसमें स्पष्ट दिखाया गया है कि जितनी भी वन भूमि को डायवर्ट किया जाता है उसके दोगुने वन क्षेत्र पर कंपनसेटरी फॉरेस्टेशन अनिवार्य है. लेकिन इस बात की अनदेखी कलेक्टर छतरपुर ने कर दी है.

हीरा खदान खुलने से वहां रहने वाले करीब 8000 वनवासियों पर भी असर पड़ेगा. उनके पुनर्वास लिए किसी तरह की योजना सरकार ने नहीं बनाई है. यहां तक कि बड़ा वाइल्ड लाइफ डिसबैलेंस भी हो सकता है. इससे कहीं ना कहीं इकोलॉजी प्रभावित होगी. बड़ी बात यह भी है कि खदान के बनने से वन भूमि के जल स्त्रोतों को बड़ा नुकसान पहुंचेगा. यानि घनघोर जंगल में प्राकृतिक संपदा से भरपूर ऐसे इलाके में खदान बनाना हर तरह से नुकसान का सौदा है.

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