Damoh : बाघिन कजरी को रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से जुड़े नौरादेही अभयारण्य में छोड़ा गया
दमोह : रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही अभयारण्य की बाघिन कजरी अब दमोह जिले के तेंदूखेड़ा के जंगल में पहुंच गई है। इसने यहां शिकार भी किया है। कजरी ने एक सप्ताह पहले ही नौरादेही अभयारण्य छोड़ दिया था। मंगलवार को उसके तेंदूखेड़ा में होने की जानकारी सामने आई तो वन अमला खाेज में जुट गया। वह बार-बार अपना इलाका बदल रही है। हालांकि, उसकी लोकेशन कॉलर आईडी से मिल रही है। वर्तमान में नौरादेही में 21 बाघों में से सिर्फ तीन बाघों को कॉलर आईडी लगी है। यहां आधे से अधिक ऐसे बाघ-बाघिन हैं, जो वयस्क हैं, लेकिन उन्हें आज तक आईडी कॉलर नहीं पहनाया गया है।
लगातार इलाका बदल रही कजरी
27 मार्च की रात नौरादेही अभयारण्य के डोगरगांव रेंज की महका वीट में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ-बाघिन को यहां लाया गया गया था। इन्हें सुनसान जंगल में छोड़ा गया था। वहां पानी के लिए व्यारमा नदी थी। बाघ शंभू के संबंध में यह बताया जा रहा था कि जिस स्थान पर उसे छोड़ा गया था, वह उसी के आस-पास घूमता रहता है। बाघिन कजरी ने दूसरे दिन से ही अपना स्थान बदलना शुरू कर दिया था। कुछ दिन पूर्व यह तारादेही वन परिक्षेत्र के जंगलों में भ्रमण करते हुए देखी गई थी। तेंदूखेड़ा और झलौन रेंज की सीमा पर इसके होने की जानकारी मिल रही है।
भदभदा में किया बछिया का शिकार
एक सप्ताह पहले ही कजरी ने नौरादेही अभयारण्य के डोगरगांव रेंज की सीमा को छोड़ दिया था। वह सर्रा रेंज पहुंच गई थी। सात अप्रैल को झलोन और बिसानाखेड़ी मार्ग के अंदर जंगली क्षेत्र भदभदा के समीप बछिया का शिकार हुआ था। वह भी कजरी द्वारा किया गया था। उसके बाद यह बाघिन झलोन और तेंदूखेड़ा के जंगल के बीच पहुंची और वहीं पर तीन दिन से अपना डेरा डाले हुए है।
टीम कर रही निगरानी
कजरी के गले में कॉलर आईडी होने के चलते वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के अधिकारी हर पल उसकी जानकारी ले रहे हैं। उसकी निगरानी के लिए छह सदस्य टीम भी लगी हुई है। यह उसकी निगरानी कर रही है। सर्रा रेंजर बलविंदर सिंह ने बताया कि बाघिन कजरी डोंगरगांव से चलकर पहले सर्रा और अब तेंदूखेड़ा, झलौन रेंज के जंगलों में रुकी हुई है। उसकी निगरानी के लिए एक टीम मौजूद है।
केवल तीन के गले में कॉलर आईडी
नौरादेही अभयारण्य में वर्तमान समय में 21 बाघ निवास कर रहे हैं। सभी वयस्क हैं। इन्होंने अपना क्षेत्र भी अलग-अलग बना लिया है, लेकिन आज भी 18 ऐसे बाघ हैं जिनके गले में आईडी कॉलर नहीं है। इनकी लोकेशन वन अमला पदमार्ग से लेता है, केवल तीन ही ऐसे बाघ हैं जिनके गले में आईडी कॉलर है। इनमें दो मादा बाघिन और एक नर बाघ हैं। बांधवगढ़ से नए बाघ-बाघिन यहां लाए गए हैं, उनके गले में वहीं से कालर आईडी पहनाई गई है। नौरादेही की महारानी कही जाने वाली बाघिन राधा जो छह साल से यहां है, उसके गले में भी कालर आईडी लगा हुआ है। 18 बाघ बिना कॉलर आईडी के ही प्रदेश के सबसे बड़े अभयारण्य में घूम रहे हैं। लोकेशन केवल पग मार्क से होती है। उनके पीछे सुरक्षाकर्मी लगे होते हैं, लेकिन कहीं-कहीं यह लापता भी हो जाते हैं।