इंदौर न्यूज़: शहर में इन दिनों अमरूद की जोरदार आवक हो रही है. मालवा के अलावा निमाड़ से भी बड़ी तादाद में फल पहुंच रहा है. देशी से ज्यादा हाइब्रिड अमरूद बिक रहा है. बड़े आकार के जापानी थाई अमरूद की डिमांड ज्यादा है. इसके अलावा इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ-49, ललित, श्वेता भी खूब पसंद किया जा रहा है. शहर में हर दिन औसतन 5-10 टन अमरूद की खपत हो रही है. इंदौर से आसपास के शहरों-कस्बों में भी अमरूद जा रहा है.
अन्य फलदार पौधों की तुलना में अमरूद की विशेषता है कि यह सभी प्रकार की भूमि व जलवायु में पनप जाता है. कम समय में फल आते हैं. अच्छा स्वाद होने के साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर है. अमरूद को गरीब का फल व उष्ण जलवायु का सेब भी कहा जाता है. बार्बेडोज चेरी व आंवला के बाद विटामिन-सी की मात्रा इसमें अन्य फलों की तुलना में अधिक पाई जाती है. इसकी पत्तियों का औषधीय उपयोग भी है. जिले में लगभग 1950 हेक्टेयर में अमरूद की खेती हो रही है. इससे 38 हजार 805 टन उत्पादन हो रहा है. प्रति हेक्टेयर उत्पादन 19.9 टन तक है.
अमरूद का उपयोग: वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी मनोज यादव ने बताया कि अमरूद का उपयोग जैम, जैली, आइस्क्रीम, टॉफी आदि बनाने में किया जाता है. इसमें पैक्टिम की अधिकता होने से उच्च गुणवत्ता की जैली बनती है. अमरूद की खेती लगभग सभी राज्यों में होती है. उत्तरप्रदेश, मप्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र में व्यावसायिक रूप से इसकी खेती की जाती है.
साल में तीन बहार:
पौधे लगाने के लिए जुलाई-अगस्त अच्छा समय है. फरवरी-मार्च में भी इसे लगा सकते हैं. अमरूद की साल में तीन बहार आती है. अम्बे बहार में फूल मार्च में आते हैं और तुड़ाई अगस्त में, मृग बहार में फूल जुलाई में, फल तुड़ाई नवंबर में व हस्त बहार में फूल आने का समय अक्टूबर व फल की तुड़ाई मार्च में होती है.
आंकड़े एक नजर में
पोषक तत्व पोषक मात्रा (प्रतिशत में)
कार्बोहाइड्रेट 14.5
कैल्शियम 0.01
पैक्टिम 1.8
प्रोटीन 1.5
लौह 1.0
खनिज पदार्थ 0.8
रेशा 6.9
जिले में अमरूद का रकबा बढ़ रहा है. मौसमी फल होने से आसानी से उपलब्ध होता है. पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में हैं. देशी अमरूद के साथ हाइब्रिड अमरूद भी चलन में है. - केएस गुर्जर, उप संचालक, उद्यानिकी इंदौर