मप्र में सत्ता विरोधी लहर के भरोसे कांग्रेस व भाजपा 'मोदी मैजिक' के

Update: 2023-04-01 09:06 GMT
भोपाल (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। मुख्य मुकाबला पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच है।
कांग्रेस राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लगभग दो दशकों की सत्ता विरोधी लहर (कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के 15 महीनों को छोड़कर) के भरोसे है। हालांकि पार्टी ने सड़क पर उतरकर संघर्ष भी किया है।
कांग्रेस ने जनता के मुद्दों को उठाते हुए मतदाताओं का आकर्षित करने का प्रयास किया है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी बड़े-बड़े वादे कर रही है। बचन पत्र (चुनाव घोषणापत्र) भी तैयार कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र कुमार सिंह, जो एमपी कांग्रेस की 'बचन पात्र' समिति के प्रमुख भी हैं, ने आईएएनएस के साथ एक विशेष बातचीत के दौरान दावा किया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घटती लोकप्रियता के कारण सत्तारूढ़ भाजपा को कम से कम तीन से पांच प्रतिशत वोटों का नुकसान होगा। यह कांग्रेस के लिए एक अतिरिक्त बढ़त होगी।
सिंह ने कहा, भाजपा भी इस बात को स्वीकार करेगी कि शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता कुछ हद तक कम हुई है और इसका स्पष्ट प्रमाण 2018 के विधानसभा चुनाव में देखा गया था। 2018 में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में 0.6 फीसदी अधिक वोट मिले थे। लेकिन कुल सीटों की संख्या के मामले मे वह (बीजेपी) कांग्रेस से पांच सीटों से पीछे थी। इस बार, दोनों में कुल सीटों की संख्या और वोट प्रतिशत के मामले में भी एक बड़ा अंतर होगा। उन्होंने कहा, हमें विश्वास है कि कांग्रेस जीतेगी और भाजपा के खिलाफ चार से पांच फीसदी अधिक वोट हासिल करेगी।
2018 में, राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा के खाते में 109 सीटें गई थीं। बसपा और सपा ने क्रमश: दो और एक सीट जीती थी, जबकि चार सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।
वोट शेयर के मामले में, बीजेपी ने 41.02 फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस के 40.89 फीसदी के मुकाबले बढ़त बना ली थी। हालांकि, कांग्रेस का तर्क है कि उसने शरद यादव के नेतृत्व वाले लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) के लिए एक सीट, टीकमगढ़ जिले में जतारा को छोड़कर, 229 सीटों पर ही उम्मीदवार खड़ा किया था। वोट शेयर में अंतर का कारया यह था।
चौहान की लोकप्रियता में गिरावट के उनके दावे के पीछे राजनीतिक अंकगणित के बारे में पूछे जाने पर राजेंद्र सिंह का दावा है: कि पिछले ढाई वर्षों में, चौहान ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया, जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ सके। उन्होंने (चौहान) मध्य प्रदेश के लोगों के बीच अच्छी छवि बनाई है, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में अपने वर्तमान कार्यकाल के पिछले ढाई वर्षों में उन्होंने पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है और जब पीएम मोदी की लोकप्रियता अब धीरे-धीरे गिर रही है, तो बीजेपी कांग्रेस से ज्यादा सीटें कैसे जीतेगी।
दूसरी ओर, भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान अपने दो लोकप्रिय चेहरों- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जरिए सत्ता-विरोधी लहर को मात देने की कोशिश करेगी।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, एंटी-इनकंबेंसी निश्चित रूप से एक कारक होगी, लेकिन चुनाव केवल एक कारक पर नहीं लड़े जाते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि नेतृत्व की गुणवत्ता एक कारक है, जो चुनाव जीतने में बड़ी भूमिका निभाती है, भाजपा के पास प्रधानमंत्री मोदी जैसे करिश्माई नेता हैं।
--आईएएनएस
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