भोपाल, (आईएएनएस)| देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपनी जमीन को मजबूत करने में जुटी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा भी निकाली। मध्यप्रदेश से गुजरी इस यात्रा के दौरान कांग्रेस ने अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करने की कोशिश की, मगर उसके बाद मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर शीत युद्ध छिड़ गया है।
राज्य में नए साल के मौके पर राजधानी में लगाए गए होर्डिग और पोस्टर में प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री क्या बताया, कांग्रेस के भीतर ही विरोध के स्वर उठने लगे। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने तो साफ तौर पर यहां तक कहा कि वर्तमान में कमल नाथ प्रदेश अध्यक्ष है, कांग्रेस में विधायक और पार्टी प्रमुख तय करते हैं कि दल का नेता कौन होगा। यादव की बात का पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी समर्थन किया।
प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को पहले जहां भावी मुख्यमंत्री बताया जा रहा था तो वहीं अब अवश्यंभावी मुख्यमंत्री तक कहा जा रहा है और इसको लेकर विरोधी दल भाजपा लगातार चुटकी ले रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी भावी और उसके बाद अवश्यंभावी मुख्यमंत्री जाने पर तंज कसा और कहा, "कमलनाथ कुछ कहते हैं, उनकी आईटी सेल कुछ और कहती है। कांग्रेस में गदर मचा हुआ है।कांग्रेस के एक नेता कह रहे हैं कि अजय और अरुण तो बच्चे हैं। पहले भावी और अवश्यंभावी मुख्यमंत्री बताया जा रहा है।"
प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी पार्टी की परंपरा का हवाला दे चुके हैं और कह चुके हैं कि विधायक दल और पार्टी नेतृत्व ही नेता का चयन करता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस में एकजुटता दिखी कमलनाथ वर्ष 2018 में जब प्रदेश के अध्यक्ष बने थे उसके बाद से पार्टी में लगभग गुटबाजी खत्म हो गई है, मगर अब मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पार्टी के अंदर खाने खींचतान है और यह गाहे-बगाहे नजर भी आ रहा है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली थी और सरकार भी बनी थी, मगर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में विधायकों के बगावत करने के कारण कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी।
अब इसी साल विधानसभा के चुनाव है और देानों दलों की चुनाव जीतने की तैयारियां जारी हैं। इसी बीच कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान शुरू हो गया है। यह तब हो रहा है, जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की राज्य में सक्रियता कम है। आगे क्या हेागा, इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है।
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