मुख्यमंत्री चौहान ने महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें किया नमन
संस्थापक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सामाजिक समानता, नारी शिक्षा के प्रणेता एवं सत्यशोधक समाज के संस्थापक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की.
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महात्मा ज्योतिबा फुले के अस्पृश्यता, स्त्री शिक्षा, कमजोरों और किसानों के कल्याण और उत्थान के लिए किए गए संघर्ष और योगदान को याद किया।
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। ज्योतिबा ने गरीबों और कमजोरों को न्याय दिलाने के लिए 1873 में 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की। उनकी समाज सेवा को देखते हुए वर्ष 1888 में मुंबई में एक विशाल सभा में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई। महात्मा फुले ने महिलाओं और दलितों के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए।
वे समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के प्रबल पक्षधर थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति-आधारित विभाजन और भेदभाव के खिलाफ थे। महात्मा फुले बाल विवाह के विरुद्ध थे, उन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। वह समाज को कुरीतियों और अंधविश्वासों के जाल से मुक्त करना चाहते थे। महात्मा फुले महिलाओं को लैंगिक भेदभाव से बचाना चाहते थे।
उन्होंने भारत का पहला लड़कियों का स्कूल पुणे में स्थापित किया। महिलाओं की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी थे। इसलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि वे समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएंगे। उन्होंने स्वयं अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को शिक्षा प्रदान की। सावित्री बाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। महात्मा ज्योतिबा फुले का निधन 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुआ था।