मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के चिन्नौर चावल को मिला जियो टैग, किसानों की खोज में हुआ टूटना
जीआई टैग प्राप्त चिन्नौर चावल के दाम का स्टॉल भी लगाया गया है।
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के चिन्नौर चावल को जिओ टैग मीटिंग से किसानों का स्टॉक बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही चावल के उत्पादन के रकबे में भी बढ़ोतरी हुई है। चिन्नौर चावल की महत्वाकांक्षी योजना में 'एक जिला-एक उत्पाद' शामिल किया गया है। बालाघाट जिले में चिन्नौर की खेती को अनुमति देने के लिए लालबरा और वारासिवनी में दो किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) काम कर रहे हैं।
यह ग्रुप लालबरा चिन्नौर फार्मर्स घाटी कंपनी और चिन्नौर वेली वारासिवनी नाम से काम कर रहे हैं। लालबरा कंपनी के अध्यक्ष ईशुपाल चौहान ने बताया कि उनकी कंपनी का कार्यालय ग्राम गैरा में संचालित हो रहा है। शुरुआत में 515 किसान सदस्य जुड़े। इनमें से 400 किसानों ने अपने खेत में चिन्नौर धान लगाया। इस वर्ष सदस्यों की संख्या 700 हो गई और वे चिन्नौर धान में 1500 से 2000 तक पहुंच गए।
चिन्नोर चावल बालाघाट: जीआई टैग पाने वाला मप्र का पहला कृषि उत्पाद
पिछले वर्ष एफ.एस.डी. का टर्न-ओवर 75 लाख लाख रहा। किसानों को समझाया गया कि धान उत्पादन में रासायनिक खाद का उपयोग न करें, केवल वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद का उपयोग किया जाए। चिन्नौर चावल की उच्च गुणवत्ता को देखते हुए इसकी मांग इंदौर, भोपाल, जबलपुर, नागपुर, रायपुर आदि शहरों में हुई। कंपनी के पास कार्टून में भी चिन्नौर चावल के लिए लेयसेंस है। जिले में चावल का उत्पादन बढ़ने से किसानों को इसमें शामिल किया जाएगा। बालाघाट रेलवे स्टेशन पर जीआई टैग प्राप्त चिन्नौर चावल के दाम का स्टॉल भी लगाया गया है।