मध्य प्रदेश की मस्जिदों की कमेटी का बड़ा फैसला , जानिए क्या है पूरा मामला?
अब मस्जिदों के इमाम न केवल नमाज और इस्लामी अध्ययन पर विशेष जोर देंगे.वे मुस्लिम समाज से सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने, पर्यावरण को स्वच्छ बनाने, नशे की लत को खत्म करने और बिना दहेज के शादी की अवधारणा को सरल बनाने को भी अभियान चलाएंगे.
मस्जिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासिर अराफात ने कहा कि पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जमाने में सारा काम पैगम्बर की मस्जिद से होता था, लेकिन हमारे यहां की मस्जिदें इबादत के अलावा कोई काम नहीं करतीं. मध्य प्रदेश की मस्जिदों की कमेटी का बड़ा फैसला, नमाज के साथ अब यह बड़ा काम होगा
मस्जिदों की समिति ने धार्मिक विद्वानों, शहर काजी और मुफ्ती के परामर्श से मस्जिदों को नमाज और ज्ञान केंद्र के साथ समाज सुधार केंद्र बनाने का निर्णय लिया है.भोपाल की मस्जिदों को मस्जिद समिति द्वारा हर शुक्रवार को एक उपदेश जारी किया जाएगा और सभी मस्जिदों में एक ही उपदेश एक साथ पढ़ा जाएगा. यह उपदेश समसामयिक मुद्दों पर आधारित होगा.
इसके साथ इमाम समसामयिक विषयों पर मस्जिदों के सदस्यों को संबोधित करेंगे और सभी इमामों और मुअज्जिनों को समाज सुधार के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि मुस्लिम समाज से बुराइयों को मिटाया जा सके. एक आदर्श समाज की स्थापना की जा सके.
इतना ही नहीं समाज में बढ़ती नशे की लत, पर्यावरण प्रदूषण और शिक्षा को लेकर भी विशेष अभियान चलाया गया है. सरकार समाज से नशा मुक्ति भी चाहती है. मुस्लिम समाज में शादियां आसान बनाने और बिना दहेज के शादी करने से रास्ते खुलेंगे.
इस अभियान के तहत पिछले हफ्ते प्री-मैरेज काउंसलिंग शुरू किया गया. इसके अच्छे सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले. उन परिवारों की काउंसिलिंग की गई जहां लड़के और लड़की की शादी में मेहंदी समारोह की व्यवस्था की गई थी. काउंसलिंग के बाद इन घरों में मेहंदी व अन्य बेजा रस्में रद्द कर दी गईं.