Bhopal: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत , एनजीटी ने एक सप्ताह में मांगा जवाब
Bhopal भोपाल: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की रहस्यमय मौत के मामले ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने स्वत: संज्ञान लिया है। ट्रिब्यूनल ने इस गंभीर मुद्दे पर प्रदेश और केंद्रीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। संबंधित विभागों को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में 10 हाथियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। शुरुआती जांच में मौतों का कारण दूषित कोदो बाजरा में मौजूद मायकोटॉक्सिन को बताया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, संभागवाना है कि कोदो में फंगल संक्रमण था, जिसको खाने से हाथियों की मौत हो गई।
एनजीटी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मध्य प्रदेश), मुख्य वन्यजीव संरक्षक, उमरिया कलेक्टर, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी किया है। सभी को अगली सुनवाई से पहले, हलफनामे के रूप में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। एनजीटी ने इस घटना को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का संभावित उल्लंघन बताया है। इस मामले को भोपाल की केंद्रीय क्षेत्रीय पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया है। ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी अधिकारी ने बिना वकील की सलाह के जवाब दाखिल किया, तो उन्हें वर्चुअली उपस्थित रहना होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोदो में फंगल संक्रमण, विशेष रूप से मानसून के दौरान, मायकोटॉक्सिन पैदा करता है। यह विषाक्तता जानवरों और मनुष्यों के लिए खतरनाक हो सकती है। इससे लीवर और किडनी से संबंधित समस्याएं, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
वहीं, इस मामले में वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि हाथी मध्य प्रदेश में स्थायी निवासी 2017-18 से हो गए। इस विषय पर भारत सरकार को मध्य प्रदेश, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा के बीच के लैंड स्कैप में हाथी प्रबंधन पर गंभीरता से काम करना था, लेकिन नहीं किया गया। मानव हाथी संघर्ष प्रबंधन फेल हो गया। इस तरह की घटाओं को रोकने के लिए इस गंभीरता से काम करने की जरूरत है।