इंदौर न्यूज़: राशन की कालाबाजारी में हितग्राही, सेल्समैन व दुकानदारों का नेटवर्क शामिल है. हितग्राही 2 रुपए में मिला राशन 10 से 15 रुपए किलो में बेच देते हैं. सेल्समैन भी हितग्राहियों का राशन औने-पौने दाम पर बाजार में बेच रहे हैं.
हितग्राहियों, सेल्समैन और दुकानदारों के गठजोड़ से एक किलो पर 5 से 10 रुपए तक का मुनाफा कमाया जा रहा है. खाद्य विभाग की कार्रवाइयों में यह मिलीभगत उजागर हुई है. विभाग द्वारा सटीक जिम्मेदारी नहीं निभाने से भी कालाबाजारी जोरों पर है.
दूसरे जिलों से इंदौर पहुंच रहा राशन
अन्य जिलों के राशन की खपत इंदौर में बड़े पैमाने पर हो रही हैं. हाल ही में सांवेर रोड स्थिति सेक्टर-एफ की फ्लोर मिल गोदाम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के गेहूं-चावल के 125 कट्टे बरामद हुए थे. यह राशन बड़वानी जिले के सेंधवा से आया था. यह कालाबाजारी की बानगीभर है. सरकारी आंकड़ों में जितना राशन जब्त किया जा रहा है, उससे कई गुना बाजार में बिक रहा है. पिछले 21 महीने में करीब 1500 क्विंटल गेहूं व 21 हजार क्विंटल चावल की कालाबाजारी पकड़ी है. जानकार मानते हैं कि राशन वितरण व्यवस्था में बदलाव व मॉनिटरिंग की आवश्यकता है.
50 से अधिक एफआइआर
डेढ़ साल में खाद्य विभाग द्वारा राशन की जब्ती के 50 से अधिक मामलों में एफआइआर दर्ज की गई है, लेकिन बमुश्किल एक-दो मामलों में जेल हुई है. विभाग की सख्ती के अभाव में कालाबाजारी करने वाले बेखौफ हैं.
पीएम गरीब कल्याण योजना हुई बंद
खाद्य विभाग की समीक्षा में सामने आया है कि पीएम गरीब कल्याण योजना बंद होने का प्रमुख कारण राशन की कालाबाजारी है. विभागीय निष्क्रियता दूर करने के लिए कमेटी बनाकर हितग्राहियों व राशन दुकानों की मॉनिटरिंग, गोदामों का सतत आकस्मिक निरीक्षण, सजा दिलाने के लिए पुख्ता कानूनी कार्रवाई जैसे उपाय करने होंगे.
केस-1
2 महीने पहले गोधा कॉलोनी जूनी इंदौर स्थित दुकान (गोदाम) से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के करीब 180 कट्टे चावल व 12 से अधिक कट्टे गेहूं का अवैध भंडारण पकड़ा था. दुकान संचालक के खिलाफ मामला दर्ज हुआ, लेकिन आगे की कार्रवाई ठंडे बस्ते में है. यहां हितग्राहियों से कम दाम में राशन खरीदा जाता था. अवैध रूप से राशन का परिवहन किया जाता था.
केस-2
नवंबर 2022 में खाद्य विभाग ने राऊ स्थित राशन दुकान पर कार्रवाई की थी. दुकान का विक्रेता व मैनेजर कालाबाजारी कर रहे थे. ये हितग्राहियों को राशन नहीं देते थे. राशन के बदले भी ज्यादा पैसे लेते थे. पीओएस मशीन के स्टॉक में दर्ज राशन से 300 क्विंटल के करीब गेहूं-चावल कम मिला था.
केस-3
जिले में करीब ढाई लाख हितग्राहियों को 4 हजार मीट्रिक टन के करीब चावल व 2 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूं का वितरण होता है. परिवार के सदस्यों के हिसाब से हर महीने राशन मिलता है. आवश्यकता से अधिक राशन होने पर अधिकांश हितग्राही 10 से 15 रुपए किलो में राशन बेच देते हैं.