औरंगाबाद: एक शख्स ने पेट्रोल महंगा होते देख छोड़ी कार और अब घोड़े से आने-जाने लगा ऑफिस
शेख ने बताया कि उन्होंने इस घोड़े का नाम 'जिगर' रखा है। शेख ने यह भी मांग की है कि घोड़े के लिए ट्रैफिक के बीच में चलना बेहद मुश्किल है। हम मांग करते हैं कि नगर निगम को घोड़े और साइकिल को वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट मोड के रूप में विकसित करना चाहिए। शेख ने इसके लिए अलग से ट्रैक बनाने की मांग भी की है। शेख कहते हैं कि जब सरकार पेट्रोल सस्ता नहीं करेगी तो हमारे पास और कोई विकल्प नहीं होगा। शेख कहते हैं कि हर दिन घोड़े पर यात्रा करने वाले को दिल की कोई बिमारी नहीं होती है। युसूफ ने ये घोड़ा लॉकडाउन में खरीदा था। शेख ने बताया कि कोरोना काल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना सेफ नहीं है तो वहीं अपनी गाड़ी चलाने के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम काफी महंगे हैं। ऐसे में उन्होंने घुड़सवारी को सबसे अच्छा विकल्प माना और अब वो शहर की सड़कों पर घोड़ा दौड़ाते हुए दिखाई देते हैं।
शेख के मुताबिक, वे दिन में 25 किलोमीटर(आना और जाना) मिलकर इस घोड़े से यात्रा करते हैं। पहले कार से इनका दिन में तकरीबन 150 से 200 का खर्च सिर्फ पेट्रोल का होता था, इसके अलावा कार के मेंटेनेंस में वे महीने में 5 हजार खर्च करते थे। ऐसे में उनकी कार का खर्च तकरीबन 10 हजार प्रति महीने होता है। शेख ने बताया कि छोटी से नौकरी में अगर 10 हजार सिर्फ आने-जाने में खर्च हो जाए तो परिवार कैसे चलेगा, इसलिए उन्होंने यह तरीका खोज निकाला। एक रिश्तेदार के पास 40,000 रुपये में बिक्री के लिए एक घोड़ा था और यूसुफ को बचपन से ही घोड़े की सवारी पसंद थी। उन्होंने अपनी जंग लगी बाइक बेच दी, कुछ बचत की, रिश्तेदार से कुछ पैसे उधार लिये। मई 2020 में, काठियावाड़ी नस्ल के एक सुंदर काले घोड़े 'जिगर' को घर ले आए।