चार माह से बन रहे आभा कार्ड लेकिन, लोगों को पता ही नहीं

Update: 2023-02-15 11:20 GMT

भोपाल न्यूज़: मरीज की मेडिकल हिस्ट्री न होने से ये पता लगाना मुश्किल होता है कि वह क्या इलाज चल रहा था. इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी का आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) बनाने को कहा था. इसमें मरीज के इलाज, पर्चे और दवा की जानकारी रहती है. वर्तमान में ओपीडी में आने वाले मरीजों में से मात्र 10 फीसदी लोगों की आभा आइडी बनाई जा रही है. आम आदमी के स्वास्थ्य की पूरी कुंडली रहती है, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते हर मरीज को इसके बारे में समझाना व उनकी आभा आइडी बनाना बेहद मुश्किल होता है. 2022 में 29 अक्टूबर से शहर के सरकारी अस्पतालों में इस कार्ड बनाने की शुरुआत की गई. जेपी अस्पताल व बैरागढ़ सिविल अस्पताल में रोजाना सिर्फ 200 से 250 लोग आभा कार्ड बनवा रहे हैं.

आभा व आयुष्मान कार्ड में यह अंतर

आयुष्मान कार्ड

● यह एक प्रकार का हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड

● यह सिर्फ गरीब लोगों के लिए

● इलाज के वक्त फाइनेंशियल मदद देना

● इसके लिए शहरी और ग्रामीण लोगों के लिए अलग-अलग क्राइटेरिया बनाए गए

आभा कार्ड

● यह एक डिजिटल हेल्थ अकाउंट कार्ड

● यह सभी भारतीय नागरिक के लिए

● मेडिकल या हेल्थ डेटा देखने में मदद करना

● इसके लिए कोई क्राइटेरिया तय नहीं

आभा कार्ड के यह लाभ

जेपी अस्पताल के आरएमओ डॉ मनोज हुरमाड़े ने बताया कि आधार कार्ड और मोबाइल नंबर के जरिए आभा कार्ड बनवाए जा सकते हैं. यह एक डिजिटल हेल्थ कार्ड है. पूरी मेडिकल हिस्ट्री डिजिटली तौर पर इस कार्ड में होगी. किसी अस्पताल में जाने पर इस कार्ड को स्कैन करने से व्यक्ति की पूरी मेडिकल हिस्ट्री को देखा जा सकता है.

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