भोपाल: मध्यप्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर एक और याचिका मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) में दायर हुई है. फिलहाल मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली इस याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत नहीं दी है. मामला वैज्ञानिक अधिकारियों की भर्ती से जुड़ा है.इस मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी.
याचिकाकर्ता अंजू शुक्ला की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में पीएससी द्वारा वैज्ञानिक अधिकारियों की भर्ती निकाली गई है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है जो नियमों के खिलाफ है. हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से नियुक्त किए गए अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देना संविधान के अनुरूप लिया गया फैसला है.
क्योंकि मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या करीब 51 फीसदी है.लिहाजा इतने बड़े वर्ग को उचित आरक्षण की जरूरत है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक किसी भी राज्य में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.इसके जवाब में सरकार की ओर से हाईकोर्ट में तर्क गया कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता हो कि प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
वहीं इंद्रा साहनी के केस में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष परिस्थितियों में ही 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर रोक लगाई है. याचिका में अंतरिम राहत की मांग की गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार के तर्कों को सुनने के बाद अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है और मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को तय की गई है.
वहीं एक अन्य याचिका में यूजी नीट (MBBS) में प्रवेश के लिए ओबीसी को आरक्षण अधिनियम एवं मध्य प्रदेश मेडिकल प्रवेश नियम 2018 के तहत ओबीसी वर्ग के छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण नहीं दिए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद प्रकरण को पूर्व में लंबित याचिकाओं के साथ क्लब करने के निर्देश दिए. मामले पर अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी. यह याचिका सिवनी की उमा कहार ने दायर की है.याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक शाह और रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पैरवी की.