इंदौर: स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण अभियान में इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (इविन) मददगार साबित हो रहा है. पांच साल पहले तापमान की असमानता के कारण वैक्सीन खराब होने का प्रतिशत अधिक था.
चिकित्सकों की मानें तो इस सिस्टम से वैक्सीन के लिए अनुकूल तापमान को बनाए रखने का काम हुआ है. इससे वैक्सीन वैस्टेज का प्रतिशत कम हुआ है. पहले लगभग 15 प्रतिशत तक वेस्टेज होता था, जो अब शून्य से पांच प्रतिशत तक आ चुका है.
घंटे लाइट नहीं होने पर भी डीप फ्रीजर तापमान को 2 से 8 डिग्री तक बनाए रखता है.
● बच्चों के टीकाकरण की वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान पर रखा जाता है.
● फोकल पाइंट पर आइएलआर डीप फ्रीजर लगे हैं. इसके साथ इविन मशीन व सेंसर जुड़ा होता है.
● डीप फ्रीजर का तापमान कम-ज्यादा होने पर तुरंत अलर्ट मिलता है, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी के साथ मशीन संचालित करने वाले, बीएमओ, जिला टीकाकरण अधिकारी, वितरण मैनेजर, डिविजन स्तर, राज्य स्तर तक पहुंचता है.
● शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है.
ये वैक्सीन रखी जाती हैं सुरक्षित
एमआर, ओपीवी, बीसीजी, रोटा, पेंटा, पीसीवी, हैपेटाइटस, डीपीटी व टीडी वैक्सीन को तय तापमान पर रखते हैं. टीकाकरण सत्र के दौरान वैक्सीन कैरियर में वाइल एएनएम को दिए जाते हैं. इन कैरियर में 72 घंटे तक तापमान नियंत्रित रहता है.
15000 बच्चों को यूविन के माध्यम से लगा टीका
7 अगस्त 2023 को जिले में यूविन से रजिस्ट्रेशन प्रारंभ हुआ. डेढ़ माह में 15 हजार बच्चों को रजिस्ट्रर्ड करते हुए टीकाकरण किया गया. इसमें पालक का मोबाइल नंबर डालने पर बच्चों को लगाए गए टीके व आने वाले दिनों में लगाए जाने वाले टीके की पूरी जानकारी दर्ज हो रही है. यही नहीं, प्रमाण पत्र भी ऑनलाइन निकाला जा सकता है. टीकाकरण की तारीख से पहले रिमाइंडर मैसेज भी पहुुंचता है. इसके माध्यम से डेढ़ माह में 2490 गर्भवती महिलाओं को टीडी का टीका लगाकर रजिस्टर्ड किया गया है.