आखिर कहां गया तेंदुए?... 3 दिन बीत जाने के बाद भी पता नहीं चला, ढोल बजाकर किया गया तलाश
3 दिन बीत जाने के बाद भी पता नहीं चला
चिड़ियाघर से गायब हुए तेंदुए का तीन दिन बीत जाने के बाद भी पता नहीं चल पाया है। टीमें लगातार तलाश कर रही है लेकिन अब तक तेंदुए का कहीं पता नहीं चल पाया है। रविवार को ढोल बजाकर तेंदुए की खोजबीन की गई। टीमों ने अलग अलग जगहों पर जाकर खोजबीन की। इस दौरान ढोल बजते रहे ताकि शोर सुनकर छिपा हुआ तेंदुआ बाहर आ सके, लेकिन वह नहीं मिला। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर तेंदुआ गया कहां।
गत दिनों बुरहानपुर से मादा तेंदुए का रेस्क्यू कर इंदौर के चिड़ियाघर लाया गया था। यहां से रहस्यमय ढंग से तेंदुआ गायब हो गया। इसकी खबर मिलते ही हड़कंप मच गया। वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम उसकी खोजबीन में जुटी। हैलोजन लगाए गए। पिंजरे और जाल की मदद से पकड़ने की कोशिश की गई लेकिन पता नहीं चला कि तेंदुआ है कहां। करीब 52 एकड़ में फैले चिड़ियाघर में 200 कर्मचारियों की टीमें लगातार खोजबीन में जुटी रही। करीब 40 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे लेकिन इसमें बिल्ली व कुत्ते तो नजर आए मगर तेंदुआ नहीं दिखा। इसी बीच दावा किया गया कि चिड़ियाघर में ही तेंदुआ हो सकता है क्योंकि उसके पंजों के निशान देखे गए हैं लेकिन ये दावा भी हवा निकला। चिड़ियाघर में तलाश के बावजूद तेंदुआ नहीं मिल सका।
ढोल बजाकर की गई तलाश
तेंदुए की तलाश के लिए रविवार को ढोल का सहारा लिया गया। टीमों ने अलग अलग जगहों पर ढोल बजाकर तेंदुए की सर्चिंग की। तेंदुए का सुराग अब तक नहीं मिल पाया है और अब इस तरह की बातें होने लगी हैं कि तेंदुए को चिड़ियाघर लाया गया भी था या नहीं क्योंकि अब कहा जा रहा है कि जिस पिंजरे से तेंदुआ भागा है उसमें तिरपाल जस के तस रखा हुआ था। अगर तेंदुआ भागता तो तिरपाल अस्त व्यस्त होता। वाहन के प्रवेश के समय पिंजरा जिस तरह तिरपाल से ढंका था ठीक वैसे ही सुबह भी पिंजरा ढंका हुआ था। इधर सर्चिंग टीम में शामिल ब्रजेश ने कहा कि उन्होंने ये दावा नहीं किया कि तेंदुआ दिखाई दिया है। यह बात कैसे प्रचारित हुई मुझे नहीं पता। एक व्यक्ति ने खंडवा रोड पर 2 दिसंबर की रात को तेंदुआ होने की बात बताई। इसके बाद कयास लगाए गए कि क्या यह वही तेंदुआ है जो चिड़ियाघर से भागा था।
हमने कहा था रात में शिफ्टिंग नहीं हो सकेगी
इस मामले में चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव का कहना है कि अधिसूचित वन्य प्राणी के परिवहन के लिए जो नियम है उसके अनुसार उसे रूकने के लिए सार्वजनिक स्थान का प्रयोग नहीं किया जा सकता। उसे चिड़ियाघर , रेस्क्यू सेंटर, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में रखा जा सकता है। पहले हमने पूछ लिया था कि तेंदुए को कोई गंभीर चोट तो नहीं है। इस पर वन विभाग ने साफ कर दिया था कि पिछले पैरों की सिर्फ त्वचा निकली है। हमने उन्हें बता दिया था शिफ्टिंग रात को नहीं हो सकेगी। इसके बावजूद वे चिड़ियाघर पहुंच गए तो गाड़ी को प्रवेश दिया गया। इसके बाद उनकी जिम्मेदारी थी रातभर पांच में से दो लोग रुककर निगरानी करे लेकिन वह वाहन खड़ा कर चले गए। हमें तेंदुआ दिखाकर सौंपें और रसीद लेने के बाद ही उनका काम पूरा होता। इधर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ कि तेंदुआ चिड़ियाघर में नहीं है। अभी दो दिन और सर्चिंग करेंगे। वन विभाग की टीम चिडियाघर में तैनात है। वहां पिंजरे लगा दिए गए हैं।