इंदौर: अतिरिक्त सत्र न्यायालय (सेशन कोर्ट) ने डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) की कोर्ट द्वारा बाउंड ओवर का उल्लंघन किए जाने के मामले में फैसला दिया है कि दूसरे पक्षों को सुने बिना ही फैसले दिए जा रहे हैं। न्याय के नैसर्गिंक सिद्धांतों के विपरीत एकपक्षीय फैसले सुनाए जा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि मल्टी में रहने वाले एक व्यक्ति का किसी पड़ोसी से विवाद हुआ है तो वह पूरे समाज, सोसायटी के लिए कैसे खतरनाक साबित हो सकता है? बाउंड ओवर का उल्लंघन होने पर थाना प्रभारी को यह साबित करना चाहिए था। अपर सत्र न्यायाधीश गंगाचरण दुबे की कोर्ट ने यह फैसला जारी किया है।
महिला से विवाद के बाद पुलिस ने युवक से बांड भरवा लिया, कोर्ट ने 20 दिन की सजा सुना दी
अपर सत्र न्यायालय ने फैसले में कहा कि डीसीपी कोर्ट ने इस मामले में घोर अन्याय, अनियमितता का परिचय दिया है। कोर्ट ने बाउंड ओवर उल्लंघन के आदेश को निरस्त कर दिया। दअरसल, डीसीपी अभिषेक आनंद की कोर्ट ने भमौरी निवासी सोनू उर्फ विश्वजीत के मामले में थाना विजय नगर द्वारा पेश किए गए प्रतिवेदन पर सोनू को 20 दिन की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ सोनू ने अधिवक्ता महेंद्र मौर्य के जरिये रिविजन दायर किया था।
इसमें उल्लेख किया कि डीसीपी कोर्ट के समक्ष विजय नगर पुलिस ने बाउंड ओवर किए जाने का आवेदन पेश किया। बता दें कि यह मामला करीब दो साल पुराना है। भमौरी स्थित जिस मल्टी में सोनू रहता है, वहीं रहने वाली एक महिला से उसका विवाद हो गया था। मामला थाने तक पहुंचा तो पुलिस ने उससे सीधे 50 हजार रुपए का बांड भरवा लिया। इतना ही नहीं, उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उसे जेल भेजने का प्रस्ताव डीसीपी को दिया था।