इंदौर न्यूज़: शहर में ई-रिक्शा का मनमाना संचालन किया जा रहा है. रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां बैठाकर गाड़ी तो चलाते ही हैं, सामान भी ढोते हैं. आए दिन हादसे की कोई न कोई खबर आ ही जाती है, बावजूद इसके अनदेखी की जा रही है. फिलहाल जितने भी ई-रिक्शा चल रहे है उनमें अधिक सवारियां बैठाना आम बात है, कोई तादाद ही तय नहीं है. कई चौराहों से ये गुजरते हैं, लेकिन पुलिसकर्मी नहीं रोकते है. सरकार की पालिसी के मुताबिक ई-रिक्शा को परमिट से मुक्त किया है, मगर गाड़ी चलाने के और जितने भी नियम-कायदे हैं, उन सभी का इन्हें पालन करना है.
लेकिन ये गलियों से लेकर हाईवे तक यह फर्राटा भरते हैं. इनके लिए कोई रूट और पार्किंग स्थल नहीं तय हैं. इससे यह कहीं भी सवारियां बैठाने लगते हैं. परिवहन के प्रदूषण रहित साधन होने के नाम पर जो छूट ई-रिक्शा को दी गई थी, वह अब शहर के लिए यातायात की परेशानी बनती जा रही है. शहर में ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ी है. दरअसल, ई-रिक्शा संचालन के लिए चालकों को किसी रूट का परमिट नहीं होता था. यह व्यवस्था इसलिए की गई थी, क्योंकि इन्हें शहर के परिवहन साधन सिटी बस, मिनी बस या मुख्य मार्ग के रिक्शों तक पहुंचने के फीडर के रूप में उतारा जाता है, लेकिन ई-रिक्शा चालक अंदरूनी मार्गों के बजाए मुख्य मार्ग पर धड़ल्ले से ओवरलोड चलकर यातायात को धीमा और कई जगह तो रोकने का कारण बन रहे हैं. शहर में ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ी है, यह परमिट वाले मार्गों पर बिना परमिट दौड़ रहे हैं. इनमें अनुमति से कहीं ज्यादा छह-सात सवारियां तक बैठाई जा रही हैं. चौड़ाई कम और अधिक ऊंचाई वाले ई-रिक्शा का संतुलन खराब होता है, छोटे से गड्ढे में पलट जाते हैं. ऐसे में ई-रिक्शा को भी पंजीयन, फिटनेस और परमिट के साथ ही नियमानुसार चलने की अनुमति होनी चाहिए.