खजराना में 15 एकड़ जमीन रिकॉर्ड से गायब

Update: 2023-05-20 08:46 GMT

इंदौर न्यूज़: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापे के दौरान सुरेंद्र संघवी और प्रतीक संघवी के साथ दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक जैन उर्फ दीपक मद्दा के ठिकानों पर सर्च की थी. ईडी ने त्रिशला गृह निर्माण संस्था में हेराफेरी के चलते सर्चिंग की थी, उसमें वर्ष 2007 व 2008 में 15 एकड़ जमीन का रिकॉर्ड नहीं है.

त्रिशला गृह निर्माण संस्था का 2008-09 में सहकारिता विभाग के अधिकारी राजेंद्रसिंह ठाकुर की ऑडिट रिपोर्ट में संस्था के पास पिपल्याहाना में 25.23 एकड़ जमीन दर्ज है. वर्ष 2012-13 के ऑडिट में संस्था के पास पिपल्याहाना में 45.28 एकड़ जमीन बताई थी. दोनों ऑडिट में खजराना में जमीन का जिक्र नहीं है. जमीन खरीदी के प्रपत्र में भी दस्तावेज नहीं हैं. जबकि, 18 मार्च 2011 को एक अनुबंध त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था और ग्लोरिशाइन डेवलपर्स एंड कंस्ट्रक्शन प्रा. लिमिटेड मुंबई में हुआ था. अनुबंध में संस्था की ओर से दिलीप सिसौदिया ने अध्यक्ष तो कंपनी की ओर से अतुल सुरेश खंडेलवाल ने बतौर डायरेक्टर हस्ताक्षर किए थे. अनुबंध खजराना की सर्वे नंबर 172, 172/2, 173 और 174/3 की 15 एकड़ जमीन के लिए हुआ था. अनुबंध में दर्ज है कि ये जमीन 14 मार्च 2007 और 1 फरवरी 2008 को खरीदी थी. संस्था ने जमीन खरीदी तो ऑडिट नोट में जमीन का उल्लेख होना था, लेकिन किसी भी रिकॉर्ड में ये जमीन नहीं है.

मां-बेटे संचालक

संस्था में मद्दा का पूरा परिवार सदस्य रहा है. दीपक के परिवार से सरोज आनंदीलाल, कमलेश आनंदीलाल, नीलेश आनंदीलाल, दिलीप सिसौदिया भी सदस्य हैं. इसके साथ ही मद्दा के खास नरसिंह गुप्ता के घर से भी रेखा गुप्ता, शीला गुप्ता, श्यामा गुप्ता, गोविंद गुप्ता, योगेश गुप्ता, जगदीश गुप्ता सदस्य हैं. संस्था में दीपक और उनकी मां सरोज संचालक मंडल में रहे हैं.

समिति के आदेशों के बाद भी फीनिक्स के डायरेक्टर स्वयं मौजूद नहीं हुए. अपने वकीलों के साथ जानकारी भेज दी. समिति के अध्यक्ष ने चंपू-चिराग-नीलेश अजमेरा सहित सभी को भी तलब किया है. साथ ही यह भी कहा, अब तक तीनों टाउनशिप में कितने लोगों के साथ सेटलमेंट हो गया है, इसकी विस्तार से जानकारी भी साथ लाएं. जिससे प्रकरणों की संख्या पता चल सकेगी.

हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति ने भी फीनिक्स की सुनवाई की. इस दौरान 20 से ज्यादा लोग पहुंचे. अध्यक्ष जस्टिस आइएस श्रीवास्तव ने सभी को सुन आवेदन लिए. कुछ आवेदक रिश्तेदार, मित्रों की ओर से लेकर आए थे. जिन्हें वापस कर दिया गया. आरोपियों की ओर से कालिंदी गोल्ड में जवाब पेश करना था. वहीं लिक्विडेटर के समक्ष चर्चा होनी थी, लेकिन आरोपियों ने अपने वकीलों के साथ जवाब भेजे. आवेदकों का कहना है, आरोपी कोर्ट के नियमों को नहीं मान रहे है तो इनकी जमानत निरस्त कर जेल भेज दिया जाए.

संस्था में गड़बड़ियों को लेकर पूर्व में हमने एफआइआर करवाई थी, यदि और भी गड़बड़ी है तो हम उस पर भी कार्रवाई करेंगे. -एमएल गजभिए, उपायुक्त सहकारिता

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