Thiruvananthapuram: केरल को वंदे भारत ट्रेन के लिए जल्द मिलेंगे नए कोच
तिरुवनंतपुरम से मैंगलोर तक दो ट्रेन, जबकि तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक एक जोड़ी ट्रेन चल रही है।
तिरुवनंतपुरम: भारतीय रेलवे के सूत्रों के अनुसार केरल में वंदे भारत ट्रेन के लिए नए डिब्बे (कोच) को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
सूत्रों ने बताया कि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राज्य के लिए दिवाली का तोहफा माना जा रहा है।
राज्य में वंदे भारत ट्रेनों की दो जोड़ी पहले से ही चल रही है। इसमें तिरुवनंतपुरम से मैंगलोर तक दो ट्रेन, जबकि तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक एक जोड़ी ट्रेन चल रही है।
फिलहाल मैंगलोर ट्रेन में आठ कोच हैं और जल्द ही इसमें 16 कोच होने की उम्मीद है। वहीं कासरगोड जाने वाली दूसरी ट्रेन में 16 कोच हैं और इसमें चार और कोच जोडे़ जाएंगे, तो इसमे कोचों की संख्या 20 हो जाएंगी।
तिरुवनंतपुरम से मैंगलोर तक वंदे भारत ट्रेन को 8 घंटे 35 मिनट का समय लगता है, जबकि इसी रूट पर अगली सबसे तेज ट्रेन को 12 घंटे 50 मिनट लगते हैं और दो अन्य ट्रेनें करीब 15 घंटे लेती हैं।
जब से राज्य में इन हाई-स्पीड सुपरफास्ट अत्याधुनिक ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ है, तब से यह काफी सफल रही हैं और ये पूरी तरह से भरी हुई चल रही हैं। इन ट्रेनों में टिकट की कीमत बहुत ज्यादा होने के बावजूद भी लोग इस हाई-स्पीड सुपरफास्ट ट्रेन को पसंद कर रहे है।
इन दो जोड़ी ट्रेनों की सफलता को देखते हुए, एक तीसरी ट्रेन भी शुरू की गई, जो बेंगलुरु से कोच्चि के बीच हफ्ते में तीन बार चलती है।
इन सुपरफास्ट ट्रेनों में अक्सर यात्रा करने वाले एक व्यवसायी ने आईएएनएस को बताया कि जब से वंदे भारत ने केरल में परिचालन शुरू किया है, तब से उन्होंने राज्य भर में यात्राओं के लिए अपनी कार का इस्तेमाल करना कम कर दिया है।
व्यवसायी ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा, "मेरे बिजनेस के चलते मुझे राज्य भर में यात्राएं करनी पड़ती है। वंदे भारत से पहले मैं अपनी कार से अपने बिजनेस के सिलसिले में जाता रहता था। लेकिन अब मुझे शायद ही कभी अपने वाहन का इस्तेमाल करना पड़ता है, इसके बजाय, मैं एक महीने पहले से बुकिंग करा लेता हूं और वंदे भारत से यात्रा करता हूं। यह निश्चित रूप से मेरे लिए बहुत बड़ी चीज है।''
कई अन्य लोगों ने भी इसी तरह अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें वंदे भारत ट्रेनों से काफी फायदा हुआ है।
वंदे भारत ट्रेनें अपने सभी मार्गों पर सबसे तेज विकल्प बनी हुई हैं। नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग सबसे लंबा होने के बावजूद यह 95 किलोमीटर प्रति घंटे की हाई स्पीड का रिकॉर्ड रखती है।