केरल सरकार कोरोना को लेकर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त, नहीं मिलेगा मुफ्त इलाज
कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर देशभर में डर का माहौल है.
KERALA : कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर देशभर में डर का माहौल है. इस बीच केरल सरकार ने महामारी को लेकर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त उठाने का फैसला किया है. केरल सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है कि जो लोग कोविड की रोकथाम के उपायों में सहयोग नहीं करते हैं, उनको अब कोई मुफ्त इलाज उपलब्ध नहीं होगा. इसके अलावा उन शिक्षकों और कर्मचारियों को अपनी साप्ताहिक कोरोना रिपोर्ट पेश करनी होगी जिन्होंने अभी तक कोरोना वैक्सीन नहीं ली है और इसके बावजूद ऑफिस से काम कर रहे हैं और लोगों से बातचीत कर रहे हैं. उन लोगों को कोरोना टेस्ट के पैसे भी खुद ही देने होंगे.
केरल सरकार ने ये कदम ऐसे समय में उठाया है जब हाल ही में खबर आई थी कि केरल में करीब 5,000 स्कूल शिक्षकों और स्टाफ ने अब तक कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगवाई है. राज्य के शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी ने रविवार को बताया कि इसके पीछे उन्होंने धार्मिक मान्यता और खराब स्वास्थ्य को वजह बताई है. उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार जल्द ही स्थिति की समीक्षा करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वैक्सीन नहीं लगवाए हुए शिक्षकों और स्टाफ के विद्यालय आने को प्रोत्साहित नहीं कर सकती है.
केंद्र सरकार ने राज्यों को दिए खास निर्देश
वहीं दूसरी ओर कोरोना के ओमीक्रॉन वेरिएंट को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को खास निर्देश दिए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में विदेश से आने वाले सभी नागरिकों पर पैनी नजर रखने को कहा है.
वहीं इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पिछले 14 दिनों में जितने भी लोग विदेश से आए हैं, उन सभी यात्रियों को ट्रेस करने की जरूरत है. विशेषज्ञ की राय यह है कि कोरोना वायरस फैलता है तो उसको म्यूटेशन में 14 दिन का समय लगता है. यह जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति के यात्रा के दौरान ही आरटी पीसीआर टेस्ट या रैट टेस्ट में बीमारी पकड़ी जाए.
केरल ने भी जारी किए दिशानिर्देश
इससे पहले केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने सोमवार को बताया था कि ओमीक्रोन के केस वाले "उच्च जोखिम" वाले देशों के अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को केरल पहुंचने पर 14 दिनों आइसोलेशन में रहना होगा. जॉर्ज ने कहा कि जो यात्री संक्रमित पाए जाएंगे, उन्हें केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा बनाए गए मेडिकल सेंटर में ट्रांसफर किया जाएगा.
उन्होंने ये भी बताया कि, ''उच्च जोखिम वाले देशों के यात्रियों को सात दिनों के लिए घर पर आइसोलेशन से गुजरना होगा. आठवें दिन उनकी फिर से जांच की जाएगी. यदि वे निगेटिव पाए जाते हैं, तो भी उन्हें सात और दिनों के लिए आइसोलेट रहने की आवश्यकता है.
इन देशों से सामने आए हैं ओमीक्रॉन वेरिएंट के मामले
बताया जा रहा है कि दुनियाभर में अभी तक इसके 160 मामले आ चुके हैं.जिन देशों में अब तक इसके मामले सामने आए हैं उनमें दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, बोत्सवाना, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, इजरायल, बेल्जियम, चेक गणराज्य, इटली, जर्मनी और हांगकांग शामिल हैं. इसमें दक्षिण अफ्रीका में 99, हांगकांग में 25, नीदरलैंड में 13, बोत्सवाना में 6, ब्रिटेन में 3, ऑस्ट्रेलिया में 2, डेनमार्क में 2, बेल्जियम में 2, इजरायल, चेक गणराज्य, इटली, जर्मनी में एक मामले हैं.