केरल के वन मंत्री जंगली गौर के हमलों को लेकर बिशप परिषद के रुख की आलोचना की
तिरुवनंतपुरम: केरल के वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने जंगली गौरों (पशु) द्वारा किसानों की हत्या पर केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (केसीबीसी) के रुख की आलोचना की। मंत्री ने कोझिकोड में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कुछ संगठनों की ओर से सरकार के खिलाफ गुस्से की आग भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि बिशप काउंसिल का बयान है कि जिस तरह राज्य सरकार जंगली जानवरों की रक्षा कर रही है, उसी तरह किसानों को जंगली जानवरों के हमले से बचाया जाना चाहिए, थोड़ा उत्तेजक था। उन्होंने कहा कि बिशप काउंसिल मृतकों से सौदेबाजी करने का प्रयास कर रही थी।
ससींद्रन ने यह भी कहा कि बिशप परिषद आक्रामक थी और सरकार को आंदोलनकारी प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए प्रयास करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि केसीबीसी को भड़काऊ बयानों से बचना चाहिए जो उसकी समृद्ध विरासत के खिलाफ हैं। मंत्री को जवाब देते हुए केसीबीसी के उप महासचिव और प्रवक्ता फादर जैकब जी पलक्क्यपिल्ली ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि लोगों को शांति से जीने का अधिकार है। आगे कहा कि लोगों की चिंता व्यक्त करना उकसावे की तरह नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उनके आंगन में अखबार पढ़ रहे एक व्यक्ति को एक जंगली गौर ने मार डाला और कहा कि राज्य के लोग केवल सरकार के साथ चिंता साझा कर सकते हैं।
गौर के हमलों में दो बुजुर्गो चाकोचन और थॉमस के मारे जाने के बाद एरुमेली के लोगों ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। लोग वन विभाग के इस बयान से नाराज हैं कि वह गौर को बेहोश कर गहरे जंगलों में स्थानांतरित कर देगा, जबकि लोग चाहते थे कि जानवर को गोली मार दी जाए। कोट्टायम जिला कलेक्टर गिरिजा ने जनता से वादा किया था कि जंगली गौर को गोली मार दी जाएगी।
स्थानीय लोगों का विरोध एक बड़े विरोध में बदल गया है, जिसमें कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया है