62 साल की दादी ने की ट्रैकिंग, केरल की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर की चढ़ाई
कहते है न कि अगर एक महिला ठान लें तो क्या नहीं कर सकती है।
कहते है न कि अगर एक महिला ठान लें तो क्या नहीं कर सकती है। वह घर बना सकती है, तो उसी घर में रहने वालों का जीवन भी संवार सकती है। वह देश-दुनिया में कई बड़े पदों पर पदस्थ हैं। इसकी वजह महिलाओं का तेज दिमाग और हुनर है। लेकिन शारीरिक तौर पर भी महिलाएं अब कमजोर नहीं रहीं। महिलाओं को शारीरिक तौर पर कमतर समझने वालों के लिए मैरी कॉम, मीराबाई चानू जैसी दमदार महिलाएं भी हैं। वहीं बात अगर उम्र की बंदिशों की करें तो उसे भी भारतीय महिलाओं ने पीछे छोड़ दिया है। एडवेंचर और हाइकिंग को चुस्त-दुरुस्त लोगों की एक्टिविटी माना जाता है। कई बार तो शारीरिक तौर पर मजबूत लोगों के लिए भी हैकिंग और ट्रैकिंग आदि मुश्किल का काम होता है। ऐसे में अगर कोई महिला ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ाई करे, वह भी 60 साल से उम्र पार होने के बाद तो लोगों का अचंभित होना लाजमी है। लेकिन एक 62 साल की बूढ़ी महिला ने वेस्टर्न घाट की चोटियों पर चढ़ाई करके साबित कर दिया कि बुलंद हौसलों के सामने उम्र बाधा नहीं बन सकती है। यह कहानी है बेंगलुरु की रहने वाली नागरतनम्मा की।