सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट धुएं उड़ाने में कर्नाटक अव्वल, 5 लाख लोगों पर लगा जुर्माना

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Update: 2022-08-17 09:53 GMT
बेंगलुरु. बादशाह फिल्म में हीरो (शाहरुख खान) एक पब में सिगरेट पी रहा होता है तो बाउंसर उससे कहता है कि पब्लिक प्लेस में सिगरेट पीने की इजाजत नहीं है. हीरो बाउंसर की बात मानते हुए सिगरेट फेंक कर पैरों से मसलता है. थोड़ी देर में दर्शक देखते हैं कि हीरो ने बाउंसर को बेवकूफ बनाने के लिए सिगरेट फेंकने का सिर्फ अभिनय किया है, सिगरेट तो उसके हाथ में ही है. यह दृश्य दर्शकों को बहुत अच्छा लगता है और वे ताली बजाते है. ऐसा लगता है इस दृश्य का सबसे ज्यादा असर कर्नाटक के लोगों पर पड़ा है.
सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करने वाले 14.3 लाख लोगों पर जुर्माना लगाया गया है, इसमें से 5 लाख अकेले कर्नाटक राज्य के थे. यानी देश भर में 2019-20 और 2021-22 के बीच में करीब 35 फीसद के साथ राज्य जुर्माना लगने वाले लोगों में अव्वल स्थान पर था. सभी दोषियों को सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम की धारा 4 के तहत चालान दिए गए थे. अधिनियम के विज्ञापन पर रोक, व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण के विनियमन नियम के तहत किसी भी सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान वर्जित है. हालांकि इस नियम के तहत कुछ अपवाद भी छोड़े गए हैं जैसे 30 कमरों वाले होटल या 30 से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था वाले रेस्त्रां, एयरपोर्ट जहां पर अलग से धूम्रपान क्षेत्र की व्यवस्था होती है.
अधिनियम का मकसद सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान को रोकना है ताकि धूम्रपान नहीं करने वाले पैसिव स्मोकिंग यानी बगैर सिगरेट पिए उसका नुकसान झेलने से बच सकें. अधिनियम की धारा 4 के तहत ऐसा करते हुए पाये जाने पर 200 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन सालों में केरल, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोगों पर जुर्माना लगाया गया है. तीन सालों में इन राज्यों पर लगा जुर्माना एक साथ मिलाकर, देश भर के कुल जुर्माने का 65 फीसद था. 2019-20 में चारों राज्यों के करीब 3.8 लाख लोगों यानी 64.4 फीसद लोगों पर जुर्माना लगाया गया, 2020-21 में यह 81.4 फीसद और 2021-22 में यह 68.7 फीसद था.कुल मिलाकर देश भर के 14.3 लाख लोगों में 70 फीसद यानी करीब 10.1 लाख लोग इन चार राज्यों में से थे जिसमें से 35 फीसद अकेले कर्नाटक के थे. सरकार ने, 2020 में, अधिनियम में एक संशोधन का मसौदा तैयार किया था और विभिन्न हितधारकों द्वारा दिए गए सुझावों और अभिवेदनों की समीक्षा करने की प्रक्रिया में है.
सोर्स -news18
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