बंगलुरू। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और संघ परिवार से जुड़े संगठनों को सौंपे गए सरकारी संपत्तियों पर नसरकार फिर से विचार करेगी। इस मुद्दे से राज्य में एक बड़ा विवाद छिड़ने की संभावना है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के. दिनेश गुंडू राव ने मीडिया को बताया कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान आरएसएस और संघ परिवार से जुड़े संस्थानों को बहुत सारी सरकारी संपत्तियां दी गई।
उन्होंने कहा, हमें उन सभी चीजों पर फिर से विचार करना होगा, यह सत्यापित करना होगा कि क्या वे कानूनी रूप से किए गए थे और उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था और अब क्या किया जा सकता है।
मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि बड़ी संख्या में सरकारी संपत्ति उन संस्थानों और संगठनों को दी गई हैं जो आरएसएस और संघ परिवार से जुड़े हुए हैं।
मंत्री राव ने यह भी घोषणा की कि 108 एंबुलेंस की सेवाएं प्रदान करने के लिए जीवीके कंपनी को दिया गया अनुबंध समाप्त कर दिया गया है। प्रदेश में डायलिसिस की व्यवस्था ठीक नहीं है और इस संबंध में एक अनुबंध भी रद्द कर दिया गया है।
उन्होंने कहा, स्वास्थ्य विभाग में काम का पैटर्न बदला जा रहा है। अधिकारियों, डॉक्टरों के काम के पैटर्न को बदलना होगा। कुछ नीतिगत मामलों को भी बदलना होगा।
कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी कि वह पिछली भाजपा सरकार के दौरान हुए कथित गलत कामों की जांच करवाएगी। डॉ. के. सुधाकर तब स्वास्थ्य विभाग संभाल रहे थे।
सरकार ने कहा है कि उसने आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार, भाजपा के प्रतिष्ठित व्यक्ति वीर सावरकर पर लिखे गए ग्रंथों और दक्षिणपंथी लेखकों के ग्रंथों को हटाने के लिए पाठ्यपुस्तक संशोधन अभ्यास शुरू कर दिया है। आरोप लगाया गया है कि भाजपा सरकार ने कर्नाटक में अपने कार्यकाल के दौरान हिंदुत्ववादी संगठनों को भूमि और संपत्तियां प्रदान की हैं।
देखना यह है कि जिस कांग्रेस सरकार ने आरएसएस और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के बयान से यू-टर्न ले लिया और कहा कि उसके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, उससे जुड़े संगठनों को सरकारी संपत्तियों के आवंटन के मामले को कैसे आगे बढ़ाएगी।