SC/ST एक्ट पर कर्नाटक HC का बड़ा फैसला, बोले - जातिगत टिप्पणी सार्वजनिक हुआ हो तभी दर्ज होगा केस

अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार पर रोक) अधिनियम (SC/ST Act) को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से अहम एलान किया गया है।

Update: 2022-06-24 09:23 GMT

बेंगलुरु,  अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार पर रोक) अधिनियम (SC/ST Act) को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से अहम एलान किया गया है। कोर्ट ने कहा कि SC/ST Act के तहत अपराध तभी माना जाएगा जब जातिगत शोषण या अत्याचार सार्वजनिक तौर पर हुआ हो। बता दें कि कोर्ट में एक मामले की सुनवाई की जा रही थी जिसमें कथित तौर पर बिल्डिंग के बेसमेंट में शोषण किया गया था जहां पीड़ित और उसके सहयोगी मौजूद थे। यह घटना 2020 की है। कथित तौर पर रितेश पायस (Rithesh Pias) ने बेसमेंट में मोहन का जातिगत शोषण किया।

बिल्डिंग के मालिक जयकुमार आर नायर इन सभी वर्करों के मालिक हैं। जस्टिस एम नागाप्रसन्ना (Justice M Nagaprasanna) ने 10 जून को अपने बयान में कहा, 'दायर मामले में दो फैक्टर चिन्हित किए गए हैं जिसमें से एक बिल्डिंग का बेसमेंट सार्वजनिक स्थान नहीं है। दूसरा - जो लोग घटना के वक्त मौजूद होने का दावा कर रहे हैं उनमें केवल शिकायतकर्ता व जयकुमार आर नायर के अन्य कर्मचार या फिर शिकायत करने वाले के मित्र हैं। कोर्ट ने कहा, 'स्पष्ट तौर पर ये शोषण सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया गया है कि मामला बने।'
रितेश पायस ने शिकायतकर्ता मोहन को एक इमारत के बेसमेंट में जातिसूचक गालियां दी थीं और शिकायतकर्ता की ओर से दर्ज कराए गए मामलें में बताया गया है कि मौके पर मोहन के साथ उसके सहयोगी भी थे। इन सभी लोगों को बिल्डिंग के मालिक जयकुमार आर नायर ने ठेके पर काम दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रितेश पायस का जयकुमार आर नायर से पहले से विवाद था। उसने इसके लिए बिल्डिंग निर्माण के खिलाफ स्टे भी लिया था। अंदेशा जताया गया है कि जयकुमार अपने कर्मचारी मोहन के जरिए रितेश पायस के साथ अपनी रंजिश निकाल रहे हों। कोर्ट ने पायस के खिलाफ निचली अदालत में धारा 323 में दर्ज मामले को भी खारिज कर दिया।



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