प्रदान का समझौता : करनाल बागवानी यूनिवर्सिटी में होगा तकनीक का आदान

बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय बागलकोट कर्नाटक के कुलपति डॉ. केएम इंद्रेश और उत्कृष्टता किसान उत्पादन संगठन के निदेशक डॉ. अशोक एस अलूर करनाल के महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय पहुंचे

Update: 2022-03-07 11:05 GMT

करनाल। बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय बागलकोट कर्नाटक के कुलपति डॉ. केएम इंद्रेश और उत्कृष्टता किसान उत्पादन संगठन के निदेशक डॉ. अशोक एस अलूर करनाल के महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां पर उन्होंने कुलपति प्रो.समर सिंह के साथ बातचीत की। इस दौरान दोनों विश्वविद्यालयों के बीच एक दूसरे से तकनीक साझा करने के समझौते पर सहमति बनी। ऐसे शिक्षण तकनीक कोर्स पर जोर दिया गया। जिससे युवाओं को डिग्री मिलने के बाद तत्काल बाद ही उद्यम स्थापित करने के लिए तैयार किया जा सके और वह रोजगार मांगने की बजाय रोजगार देने लायक बनें।

एमएचयू कुलपति प्रो.समर सिंह ने वैज्ञानिकों की टीम के साथ वीसी डॉ. इंद्रेश और उनकी टीम का स्वागत किया। इस दौरान दोनों कुलपति के बीच अब तक हुए शोधकार्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। जिसमें बागवानी शिक्षा, अनुसंधान और विकास और बागवानी फसलों और उत्पादों की विपणन प्रक्रिया में बागवानी सुधार के अनुसंधान का नया क्षेत्र क्या होना चाहिए, इस विषय पर मंथन किया गया। इस दौरान कुलपति डॉ. केएम इंद्रेश ने सुझाव दिया कि दोनों विश्वविद्यालयों को बागवानी फसलों के जर्मप्लाज्म का आदान-प्रदान करना चाहिए। हरियाणा को आलू की फसल के गुणवत्ता बीज उत्पादन के अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि भारत के अन्य राज्यों में विशेष रूप से उत्तरी भारत में इसकी बहुत मांग है। ड्रैगन फ्रूट जैसे नए फलों पर और अनार और अमरूद जैसे फलों पर शोध शुरू कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कर्नाटक में बेगेड़ा मिर्च उगाया जाता है, जिसका निर्यात होता है, घरेलू बाजार में भारी मांग रहती है। उसे करनाल यूनिवर्सिटी में भी उत्पादित किया जाएगा, इसके बाद किसानों को दिया जाएगा।
ये मिर्च काफी तीखी होती है और काफी महंगी बिकती है। डॉ. अशोक एस. अलूर ने सुझाव दिया कि एमएचयू को 5 साल के अंतराल के साथ दीर्घकालिक संभावित योजना तैयार करनी चाहिए। प्रस्ताव दिया कि वे विश्वविद्यालय में एक योजना समिति बने और समृद्ध अनुभवों के व्यक्तिगत को इस में लें। विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और विदेशी फंडिंग दोनों का प्रयास करना चाहिए। कनार्टक की तरह यहां भी उत्कृष्ठता केंद्र बने, जहां किसान को गुणवत्ता बीज विपणन और उनके उत्पाद का प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लाभ दिया जाए। हरियाणा वह स्थान है जो एनसीआर क्षेत्र से सटा है। जहां बागवानी और कृषि उत्पाद के लिए विश्व स्तरीय बाजार है, हरियाणा को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। इस मौके पर कुलसचिव डॉ. अजय सिंह, डीन डॉ. राजेश भल्ला, अनुसंधान निदेशक डॉ. रमेश गोयल, डॉ. विजय अरोड़ा, डॉ.पीके मेहता आदि शामिल रहे।
बागवानी विश्वविद्यालय में छात्र पढ़ते हैं, लेकिन अब उन्हें कुछ ऐसे कोर्स पढ़ाए जाने पर विचार किया जा रहा है, जिससे वह डिग्री हासिल करने के तत्काल बाद उद्योग स्थापित कर सकें। इससे क्षेत्र का औद्योगिकीकरण तो होगा ही, रोजगार की दृष्टि से भी स्थानीय लोगों को बड़ा फायदा होगा। यह छात्र खुद को स्वरोजगार करेंगे, बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी देंगे।
-बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय बागलकोट कर्नाटक करनाल की यूनिवर्सिटी से पुरानी हैं, वहां कई अन्य तरह की बागवानी पर अनुसंधान हुआ है। सब्जियां तो कमोवेश यहीं है, जो करनाल के बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय में अनुसंधान के बाद उत्पादित की गई लेकिन दोनों विश्वविद्यालयों की तकनीकि साझा होने से क्षेत्र के किसानों को बड़ा फायदा होगा। किसानों की आय को बढ़ाया जा सकेगा, क्योंकि किसानों को शीघ्र से क्षेत्र में ही नए अनुसंधान पर आधारित बीज व पौध मुहैया हो सकेगी। किसानों को सब्जी व अन्य बागवानी का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। बेगेड़ा मिर्च व ड्रैगन फ्रूट को भी शीघ्र की करनाल यूनिवर्सिटी में उत्पादित किया जाएगा।


Tags:    

Similar News

-->