रांची : संसद भवन के एनेक्सी बिल्डिंग में केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई. जिसमें महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई है. बिल को लेकर कई तरह की अटकलें सामने आ रही थी लेकिन सभी अटकलों को दरकिनार करत हुए केंद्रीय कैबिनेट ने अंत में महिला आरक्षण के बिल को मंजूरी दे दी है. अब इस बिल को मंजूरी के बाद लोकसभा में पेश किया जाएगा.
जानें इस बिल के बारे
बता दें, इस बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत / एक तिहाई सीटें आरक्षित करना का प्रस्ताव है. विधेयक के अंतर्गत 33 प्रतिशत कोटा के भीतर SC, ST और एंग्लो इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है. इसमें यह भी प्रस्तावित है कि हरेक आम चुनाव के उपरांत आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना होगा. साथ ही आरक्षित सीटें राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के कई निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं. इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के करीब 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा.
करीब 27 सालों से पेंडिंग है यह विधेयक
महिला आरक्षण विधेयक करीब 27 सालों से लंबित था जो अब संसद के पटल पर आने वाला है. आंकड़ों के अनुसार, महिला सांसदों की संख्या लोकसभा में 15 प्रतिशत से कम है, वहीं उनका प्रतिनिधित्व राज्य विधानसभा में 10 फीसदी से भी कम है. महिला आरक्षण के इस मुद्दे पर आखिरी बार साल 2010 में कदम उठाए गए थे. उस वक्त काफी हंगामें के बीच राज्यसभा ने बिल को पास कर दिया था वहीं इस दौरान मार्शलों ने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का विरोध करने वाले कुछ सांसदों को बाहर निकाल दिया था. लेकिन यह बिल रद्दा हो गया था क्योंकि लोकसभा से पारित नहीं हो सका.
आखिरी बार साल 2008 में पेश हुआ यह विधेयक
बता दें, इस बिल को साल 2008 से पहले 1996, 1998 और 1999 में भी पेश किया गया था. गीता एक संयुक्त संसदीय समिति ने मुखर्जी की अध्यक्षता में 1996 के विधेयक की जांच की थी साथ ही 7 सिफारिशें भी की थीं. जिसमें से 5 सिफारिश को साल 2008 के विधेयक में शामिल किया गया था. इसमें एंग्लो इंडियंस के लिए 15 साल की आरक्षण अवधि और उप-आरक्षण शामिल था.