जयपुर (आईएएनएस)। झारखंड से राजस्थान के कोटा जिले में एक नाबालिग की तस्करी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लड़की की शिकायत पर पुलिस ने तस्करी और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर राजू और रवि को गिरफ्तार कर लिया, जबकि तीसरा आरोपी ललित फरार है।
आरोपियों ने नाबालिग और उसकी मां को आठ दिन तक कोटा में एक कमरे में बंद रखा था। पीड़िता ने किसी तरह बचपन बचाओ आंदोलन हेल्पलाइन को सूचना दी, जिस पर साइबर सेल प्रभारी प्रताप और पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी से संपर्क कर मामले की जानकारी दी गई।
शरद चौधरी ने पीड़ितों के स्थान का पता लगाया और उन्हें कोटा के प्रेमनगर अफोर्डेबल सोसाइटी के एक घर से बचाया। घर की मालकिन की पहचान गीता के रूप में की गई है। वह इस मामले के आरोपी रवि की मां है।
बच्ची को सुरक्षित उद्योग नगर थाने के चिल्ड्रन रूम में लाया गया, जहां उसकी काउंसलिंग की गई। काउंसलिंग के दौरान लड़की ने कहा कि उसके पड़ोसी गांव का राजेंद्र मंडल उर्फ राजू उसके घर आया और उसकी मां से कहा कि वह उसकी बेटी की शादी कोटा में करेगा और बदले में कुछ पैसे देगा।
नाबालिग ने बताया कि जब उसकी मां ने मना किया तो उसने उसे जान से मारने की धमकी दी और दोनों को जबरन कोटा ले आया।
कोटा में आरोपी रवि और ललित ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया और नाबालिग को बेचने की कोशिश की। जब पीड़िता ने इनकार कर दिया तो आरोपी ने उन्हें चार दिनों तक भूखा रखा और मां-बेटी को जान से मारने की धमकी दी।
शुरुआती जांच में पता चला कि तीनों मानव तस्करी में शामिल हैं। राजू की बेटी और दामाद कोटा में रहते हैं। जबकि गीता, जिसके घर से मां-बेटी को बरामद किया गया, वह भी अपराध में शामिल है। गीता पर पहले से ही झारखंड की एक नाबालिग को शादी के नाम पर बेचने का मामला दर्ज है और फिलहाल वह जमानत पर है।
काउंसलिंग के बाद लड़की को बाल सुधार गृह भेज दिया गया। बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा कि देखा जा रहा है कि संगठित आपराधिक गिरोहों द्वारा शादी और रोजगार के नाम पर झारखंड से नाबालिग लड़कियों की तस्करी का चलन जोर पकड़ रहा है।