ट्रांसजेंडरों को राज्य सरकार ने OBC में किया शामिल

छग की पहल हुई कामियाब

Update: 2023-09-12 16:07 GMT
रांची। छत्तीसगढ़ ने सबसे पहले ट्रांसजेंडर को समाज दर्जा देने की पहल शुरू की जिसके बाद अब झारखंड कैबिनेट से ट्रांसजेंडरों को ओबीसी के आरक्षण विगत दिनों पास किया है। छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडरों की एक परेड भी निकाली गई थी। जिसे लेकर ट्रांसजेंडरों ने इसे स्वागत योग कदम बताया है, लेकिन इसे लेकर कई प्रकार की त्रुटियां खामियां भी इन ट्रांसजेंडर के सामने आ खड़ी हुई है। इन्हीं विषयों को लेकर रांची नगर निगम के नगर आयुक्त से ट्रांसजेंडरों की एक समूह भेंट करने आई हुई थी. उनके समर्थन में समाजसेवी भी रही. ओबीसी में आरक्षण को दिए जाने को लेकर ट्रांसजेंडर का कहना है कि इस दिए गए आरक्षण को लेकर ट्रांसजेंडरों का वैसा समूह जो पढ़ा लिखा है, इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि ओबीसी में आरक्षण मिलने से हमारे ट्रांसजेंडरों के समूह को विशेष लाभ नहीं मिल पाएगा. हमारे अपने अस्तित्व के लिए सरकार की ओर से क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।
वहीं, उनके समर्थन में आई समाजसेवी का कहना है कि ट्रांसजेंडर सभी जातियों से आते हैं. इन्हें विकलांग कोटा के तर्ज पर ट्रांसजेंडरों का अलग आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए. सबसे पहले ट्रांसजेंडरों के लिए मेडिकल बोर्ड की व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि अभी तक का गठन नहीं हो पाया है. कोई भी अपने आप को ट्रांसजेंडर साबित कर देगा। वहीं, बता दें कि रांची में झारखंड राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने कई मंदिरों को नोटिस भेजा है. रांची के पहाड़ी मंदिर, मेन रोड रांची का बजरंगबली मंदिर, इटखोरी का भद्रकाली मंदिर सहित राज्य के लगभग 15 प्रबंधन कमेटी को भंग करने का नोटिस भेजा गया है। इसके अलावे बंशीधर मंदिर गढ़वा, देउरी मंदिर तमाड़, कमरे आश्रम सहित कई प्रबंध समिति को नोटिस भेज कर प्रबंधन से जुड़ा डिटेल मांगा गया है. नोटिस भेजने के बाद कुछ मंदिरों की नई कमेटी बन भी गई, लेकिन अब न्यास बोर्ड के इस फैसले पर सियासत होने लगी है. जहां बीजेपी का कहना है कि न्यास बोर्ड का ये फैसला एक तरफा है. आखिर क्या है न्यास बोर्ड के इस फैसले की वजह और क्यों इसपर सियासत हो रही है।
विगत दिनों रायपुर में गे समाज के लोगों ने निकाला था प्राइड परेड

LGBTQ ने सामुदायिक सम्मान के साथ जीने के अपने अधिकार के लिए रविवार को राजधानी रायपुर में प्राइड मार्च निकाला. मार्च में देश भर के (किन्नर, लेस्बियन, गे) थर्ड जेंडर के लोग शामिल हुए। LGBTQ की मांग है कि उन्हें समान विवाह के अधिकार दिए जाएं, इसके अलावा बच्चा गोद लेने, समान नागरिक अधिकार के साथ आरक्षण प्रदान किया जाए. समुदाय की कलेक्ट्रेट से निकली रैली तेलीबांधा तालाब के पास जाकर समाप्त हुई. समापन के दौरान समुदाय के लोगों ने अपना हुनर दिखाया। छत्तीसगढ़ के जिला रायपुर में 10 सितम्बर 2023 को क्वीर प्राइड मंथ मार्च का आयोजन किया गया जिसमें अलग-अलग जगह के लोगों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। रंगमंज पर अपने गाने, नाटक और कविता के ज़रिये समाज में अपने अस्तित्व और हक़ की बात रखी।

रायपुर में पहली बार क्वीर प्राइड मार्च सितम्बर 2019 में हुई थी, तबसे यहाँ पर सितंबर महीने के पहले रविवार को यहाँ पर क्वीर प्राइड मंथ मार्च का आयोजन किया जाता है। आधिकारिक रूप से, पहली बार क्वीर प्राइड परेड 1970 में न्यूयॉर्क सिटी में आयोजित की गई थी। इस प्राइड परेड की स्थापना लिबरेशन इनशोवेशन कॉलेक्टिव नामक संगठन ने की थी, जिसे आधिकारिक रूप से GAA कहा जाता है। इस प्रथम प्राइड परेड में लगभग 2000 लोगों ने भाग लिया था। प्राइड मंथ को जून के महीने में मनाया जाता है लेकिन कई ये भी कहते हैं कि प्राइड मंथ को कभी भी माना सकते है। यह आयोजन आजकल पूरी दुनिया में मनाया जाता है और यौनिकता और लैंगिक समानता का प्रतीक माना जाता है। यह LGBTIQA+ के बारे में बात करता है।


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