जिले में 15 साल के अंदर बंद हो गईं तीन सौ किताबों की दुकानें

Update: 2023-04-25 12:10 GMT

धनबाद न्यूज़: आपने अक्सर सुना होगा कि किताबें इंसान की सबसे अच्छी साथी होती हैं, लेकिन यह धीरे-धीरे किताबों को पढ़ने का स्वरूप बदल रहा है. युवा वर्ग मोबाइल, कंप्यूटर या अन्य आधुनिक साधनों के माध्यम से किताबें से रूबरू हो रहा है. इसका असर किताबों पर पड़ रहा है. एक समय था कि धनबाद में 400 से अधिक किताब दुकानें थीं. 15 वर्षों के दौरान तीन सौ किताब दुकानें बंद हो गईं. धनबाद जिला पुस्तक विक्रेता संघ के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह का कहना है कि अब लगभग सौ ही किताब दुकानें जिले में रह गई हैं. सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए संघ में हमलोगों ने स्टेशनरी को जोड़ कर धनबाद जिला पुस्तक सह स्टेशनरी विक्रेता संघ कर दिया है. इसके कई कारण हैं. सरकारी स्कूलों में किताबें निशुल्क मिलने लगीं. वहीं पब्लिक स्कूलों की ओर से बुकलिस्ट सार्वजनिक करना बंद कर दी गई है. किताब दुकानों व स्कूलों के बीच गठजोड़ हो गया. अब कई दुकान चार-पांच महीने ही चलती हैं. इसका असर भी किताब दुकानों पर पड़ा. जीविका चलाने के कई लोगों ने किताबें बेचनी छोड़कर शृंगार या अन्य दुकानें खोल लीं. उम्मीद है किताब प्रेमियों की मदद से फिर से किताब दुकानें गुलजार होंगे.

उम्मीद राज्य पुस्तकालय में पाठकों को मिलेंगी कई सुविधाएं

शहर में गोल्फ ग्राउंड के निकट संचालित राज्य पुस्तकालय में फिलहाल 60 हजार किताबें हैं. मात्र एक स्थायी माली कार्यरत हैं. आउटसोर्सिंग पर कुछ कर्मी नियुक्त किए गए हैं. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने स्टेट लाइब्रेरी में आधुनिक सुविधाएं देने की घोषणा की है. नया ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी रूम, नई किताबें समेत अन्य सुविधाओं पर 63 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे. उम्मीद है कि आनेवाले समय में बेहतर सुविधाएं मिले.

कई प्राइवेट पुस्तकालय खुले

शहर में कई प्राइवेट पुस्तकालय भी खुले हैं. युवाओं को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. डिजिटल लाइब्रेरी समेत अन्य आधुनिक सुविधा दी जा रही है. बदले में छात्र-छात्राओं से एक निर्धारित राशि फीस के रूप में ली जा रही है.

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