वकीलों से उलझना पड़ेगा भारी, अधिवक्ता सुरक्षा कानून के मसौदे को हरी झंडी

बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने इस एक्ट का प्रारूप तैयार कर सभी राज्यों के बार कौंसिल को भेजा था.

Update: 2021-11-13 11:46 GMT

रांची: बार कौंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अधिवक्ता सुरक्षा कानून के ड्राफ्ट को झारखंड राज्य बार कौंसिल ने भी मंजूरी दे दी है। बिना किसी संशोधन के ही एक्ट के मसौदे के मंजूरी प्रदान की गयी है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने इस एक्ट का प्रारूप तैयार कर सभी राज्यों के बार कौंसिल को भेजा था। सभी से सुझाव और संशोधन के बारे में राय देने को कहा गया था।

एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल की रूपरेखा व ड्रॉफ्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की सात सदस्यीय कमेटी ने तैयार की है। इसमें 16 धाराएं रखी गई हैं। प्रस्तावित बिल में वकील तथा उनके परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की क्षति व चोट पहुंचाने की धमकी देना, किसी भी सूचना को जबरन उजागर करने का दबाव देना, पुलिस अथवा किसी अन्य पदाधिकारी से दबाव दिलवाना, वकीलों को किसी केस में पैरवी करने से रोकना, वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, किसी वकील के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करना जैसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
ये सभी अपराध गैर जमानती अपराध होंगे। ऐसे अपराध के लिए 6 माह से 5 वर्ष की सजा के साथ-साथ दस लाख रुपये जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। इन अपराधों के लिए पुलिस को 30 दिनों के भीतर अनुसंधान पूरा करना होगा, जिसकी सुनवाई जिला व सत्र न्यायाधीश/अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायधीश करेंगे लेकिन अगर कोई वकील अभियुक्त हो तो यह कानून उसपर लागू नहीं होगा।
वकील को सुरक्षा देने के बारे में भी प्रस्तावित कानून में प्रावधान किये गये हैं। वकील को सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में आवेदन देना होगा। हाईकोर्ट वकील के आचरण सहित अन्य तथ्यों की जांच कर, जरूरत पड़ने पर स्टेट बार काउंसिल तथा बीसीआई से जानकारी लेकर सुरक्षा देने के बारमें आदेश जारी करेगा।
वकील संघ की शिकायत के निपटारे के लिए शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाएगा। इस शिकायत पर तीन सदस्यीय कमेटी जांच करेगी। वकीलों के कर्तव्यों के निर्वहन में कोई त्रुटि होने पर वकीलों को जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकेगा। सीजेएम के आदेश के बाद ही किसी वकील को गिरफ्तार किया जा सकेगा। वकील के खिलाफ केस दर्ज होने पर सीजेएम पहले नोटिस जारी कर वकील का पक्ष जान आगे की कार्रवाई के बारे में आदेश जारी करेंगे। प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति में केंद्र व राज्य सरकार जरूरतमंद वकीलों को 15 हजार रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे। सरकार बीमा, चिकित्सा, सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाएं लागू करेगी। एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल को विशेष कानून का दर्जा देने का भी प्रावधान प्रस्तावित बिल में किया गया है।
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