बिजली वितरण निगम के तत्कालीन अभियंताओं ने अपने ही विभाग को लगाया 1 करोड़ 12 लाख का चूना

आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया के थर्ड फेज में जिंको इंडिया के नाम पर आयडा (अब जियाडा) की ओर से आवंटित प्लॉट पर पीटीपीसी कंपनी चलने का मामला चर्चा में है

Update: 2022-07-24 13:39 GMT

Jamshedpur : आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया के थर्ड फेज में जिंको इंडिया के नाम पर आयडा (अब जियाडा) की ओर से आवंटित प्लॉट पर पीटीपीसी कंपनी चलने का मामला चर्चा में है. इस बीच खबर है कि यहां बिजली विभाग ने भी जमकर खेल किया है. पीटीपीसी को गलत तरीके से उसके नाम पर स्थायी बिजली कनेक्शन दे दिया गया, जबकि जियाडा (आयडा) की ओर से वहां अस्थायी कनेक्शन देने की अनुशंसा की गयी थी. जानकारों की मानें. तो इस पूरे गोलमाल के चलते बिजली विभाग को करीब 1 करोड़ 12 लाख का चूना लगा है. जानकारों का कहना है कि अगर इस मामले की गंभीरता से जांच की गयी, तो संबंधित अधिकारियों की गर्दन फंसना तय है.

यह है मामला
जियाडा ने (तत्कालीन आयडा) वर्ष 1990 में फेज-3 के प्लाट नंबर-सी-35 जिंको इंडिया को आवंटित किया था. करीब 20 साल बाद पैरामाउंट कंपनी के पक्ष में प्लॉट के नामांतरण को लेकर आयडा में आवेदन डाला गया. इस पर विवाद हुआ, तो पैरामाउंट हाईकोर्ट चला गया. 2010 में झारखंड हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद साल 2011 में बिजली विभाग ने पैरामाउंट के नाम से स्थायी बिजली कनेक्शन (कनेक्शन नंबर-एडीएलटी-3/ए816एक्स) दे दिया. आठ साल तक कंपनी चलाने के बाद 3 मई वर्ष 2019 को पैरामाउंट कंपनी ने झारखंड बिजली वितरण निगम आदित्यपुर के जीएम को पत्र लिखकर अस्थाई रूप से बिजली कनेक्शन काटने का अनुरोध किया. पैरामाउंट के पत्र देने के बाद ही पीटीपीसी को बिजली कनेक्शन देने की साजिश शुरू हुई. पीटीपीसी कंपनी ने बिजली के कनेक्शन के लिए आवेदन दिया. इसपर बिजली विभाग ने जियाडा से स्टेटस रिपोर्ट मांगी
कंपनी की भौतिक जांच के बाद जियाडा के क्षेत्रीय निदेशक ने 17 मई 2019 को झारखंड विद्युत वितरण निगम के कार्यपालक अभियंता को भेजे गये पत्र में लिखा कि प्लॉट नंबर-सी-35/फेज-3 का प्लॉट जिंको इंडिया लिमिटेड और पैरामाउंट ऑटो के नाम पर है. जियाडा द्वारा उस प्लॉट की जांच की गयी. उसमें पाया गया कि वहां पीटीपीसी नाम की कंपनी चल रही है, जो हाईवा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की शत-प्रतिशत सब्सिडियरी है. जियाडा ने कार्यरत प्लांट के मद्देनजर बिजली विभाग को लिखा कि वहां अस्थाई बिजली कनेक्शन दिया जा सकता है. बिजली विभाग के आदित्यपुर डिविजन के तत्कालीक सहायक और कार्यपालक अभियंता ने इस पत्र को आधार बनाकर पीटीपीसी को अस्थायी के बदले स्थायी कनेक्शन दे डाला. इतना ही नहीं, अधिकारियों ने पीटीपीसी की मिलीभगत से पूर्व में पैरामाउंट कंपनी के नाम से जारी बिजली कनेक्शन नंबर-एडीएलटी-3/ए816एक्स को बदलकर पीटीपीसी के नाम से नया कनेक्शन जारी कर दिया, जो पूरी तरह से नियम विरुध्द है. न तो पैरामाउंट से एनओसी लिया गया न ही उनकी पहले से जमा सिक्योरिटी मनी लौटायी गयी. जियाडा द्वारा स्पष्ट रूप से अस्थायी कनेक्शन देने की अनुशंसा करने के बावजूद पीटीपीसी कंपनी को स्थाई कनेक्शन दे दिया गया और पैरामाउंट कंपनी के कंज्यमर नंबर से उसका नाम हटाकर पीटीपीसी का नाम चढ़ा दिया गया.
बिजली विभाग के जानकारों का कहना है कि बिजली विभाग की ओर से यदि स्थायी कनेक्शन नहीं देकर अस्थायी कनेक्शन दिया जाता, तो विभाग को लगभग एक करोड़ रुपये का चूना लगने से बचाया जा सकता था. वैसे इस मामले में विभागीय अधिकारी अब तक चुप्पी साधे हुए हैं. इसलिए उनका पक्ष अब तक सामने नहीं आ सका है. बावजूद इसके जिस तरह से मामला जोरशोर से उठ रहा है, इससे पूरा मामला संदेह के घेरे में है.

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