पलामू टाइगर रिजर्व में गश्त कर रहे कर्मियों ने पहली बार देखा बाघ, अधिकारी और कर्मचारी हुए खुश

झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी और कर्मचारी काफी खुश है

Update: 2021-11-09 12:36 GMT

सांकेतिक फोटो 

झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी और कर्मचारी काफी खुश है क्योंकि लंबे समय के बाद टाइगर रिजर्व में बाघ देखा गया. टाइगर रिजर्व के ही एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि सोमवार शाम बाघ देखा गया है. गौरतलब है कि हाल ही में झारखंड के उच्च न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी करते हुए कहा था कि पलामू टाइगर रिजर्व को बाघ अभयारण्य क्यों कहा जाना चाहिए क्योंकि बाघ नहीं हैं और अधिकारियों को यह भी पता नहीं है कि झारखंड में कितनी नर और मादा बाघ मौजूद हैं.


गश्त कर रहे कर्मियों ने पहली बार देखा बाघ
रिजर्व के क्षेत्र निदेशक कुमार आशुतोष ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सोमवार की शाम बरसाड जंगल में रेंज ऑफिसर तरुण कुमार सिंह की अगुवाई वाली वन रक्षकों की एक टीम ने एक स्वस्थ और युवा नर बाघ को देखा है. उन्होंने बताया कि बताया कि टीम ने बाघ को मेदिनीनगर-महुआदंध मार्ग को पार करते हुए करीब 10 फुट की दूरी से धीरे-धीरे एक जंगल से दूसरे जंगल में जाते देखा. अधिकारी ने बताया कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए नियमित गश्त कर रहे वन कर्मियों ने उस बाध पर पड़ी.

जानवरों की गिनती के लिए लगाए गये हैं 509 ट्रैप कैमरे
निदेशक ने कहा कि मंगलवार सुबह से कुशल वन रक्षकों को बाघ के मलमूत्र-पदचिह्न (स्टग-पग रूट) को इकट्ठा करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है, ताकि उसकी पूरी जानकारी हासिल की जा सके. बता दें कि झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में स्थित बेतला नेशनल पार्क को मार्च 2020 से महामारी के दौरान बंद किए जाने के बाद 1 अक्टूबर को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. 1932 से पहले ही दुनिया में पहली बार जंगली जानवरों की गिनती पलामू टाइगर रिजर्व में शुरू हो गयी थी. इसके अलावा यहां पहली बार बाघों की गिनती हुई थी. पलामू टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों की गिनती के लिए 509 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं.

1995 में यहां 71 बाघ थे
पलामू टाइगर रिजर्व के 1129.93 वर्ग किमी क्षेत्र में से 414.08 वर्ग किमी कोर क्षेत्र (महत्वपूर्ण बाघ आवास) और शेष 715.85 वर्ग किमी बफर क्षेत्र के रूप में चिह्नित है. कुल क्षेत्रफल में से 226.32 वर्ग किमी को बेतला राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नामित किया गया है. बफर जोन में 53 वर्ग किमी को पर्यटन क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है. 1973-74 में पलामू को संरक्षित वन आरक्षित घोषित किया गया था जब प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था. जानकारी के अनुसार, रिजर्व में 1995 में 71 बाघ थे, जो एक जगह पर बाघों की सबसे अधिक आबादी थी, पर उसके बाद से उनकी आबादी लगातार घटती जा रही है.

इसे दुनिया का पहला अभयारण्य होने का गौरव प्राप्त है
पलामू टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत में देश में बनाए गए पहले नौ टाइगर रिजर्व में से एक था और इसे दुनिया का पहला अभयारण्य होने का गौरव प्राप्त है, जिसमें 1932 की शुरुआत में तत्कालीन डीएफओ जेडब्ल्यू निकोलसन की देखरेख में पगमार्क काउंट के आधार पर बाघों की गणना की गई थी. यहां के अधिकारियों के मुताबिक स्तनधारियों की कुल 47 प्रजातियों और पक्षियों की 174 प्रजातियों की पहचान की गई है, अधिकारियों ने बताया कि इनके अलावा पौधों की कुल 970 प्रजातियों, घास की 17 प्रजातियों और औषधीय पौधों की 56 प्रजातियों की भी पहचान की गई है.


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