झारखंड: झारखंड के साहिबगंज जिले में उधवा झील (पक्षी अभयारण्य) प्रवासी पक्षियों के लिए विशेष जगह बनती जा रही है। इस क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किए जाने के बाद यहां इस वर्ष 160 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आ चुके हैं। इको सेंसेटिव जोन घोषित करने से पहले 146 प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते थे। यह पक्षी अभयारण्य 565 हेक्टेयर में फैला है। झील के विकास के लिए इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के अलावा हाल के दिनों में जिला प्रशासन और वन विभाग ने कई काम किए हैं। उधवा झील में प्रदूषण और गंदगी फैलाने की पूर्णत: मनाही है। यहां खनन कार्य, ईंट-भट्ठा संचालन, बिजली उत्पादन, पेड़ों की कटाई आदि जैसे कार्य नहीं होंगे। इस क्षेत्र में बिजली के तार पूरी तरह कवर्ड होंगे।
रामसर साइट घोषित करवाने की हो रही पहल
उधवा झील (पक्षी अभयारण्य) को रामसर साइट घोषित करवाने के लिए पहल शुरू कर दी गई है। इसके लिए रिपोर्ट भेजी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार यहां हो रहे प्रयास के चलते इस साल उधवा झील में प्रवासी पक्षियों की संख्या पिछले कई सालों की तुलना में बढ़ी है। सैकोन के साइंटिस्ट डॉ. गोल्डीन कुवार्डरोस ने कहा कि उधवा पक्षी अभ्यारण्य में रिसर्च के दौरान उन्होंने 13 नई प्रजाति की पक्षियों की खोज की हैं। ये पक्षी पहली बार उधवा झील आए हैं। इस पक्षी अभयारण्य में पहले सिर्फ 146 प्रजाति के ही प्रवासी पक्षी आते थे। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने पर इस साल 160 प्रजाति प्रवासी पक्षी आए हैं। इसमें एक अलग प्रजाति का चील भी शामिल है। डीएफओ मनीष तिवारी ने बताया यहां आने वाले पक्षियों को बचाने के लिए झील को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि रामसर साइट बनने से यह अभयारण्य अंतरराष्ट्रीय स्तर की आर्द्रभूमि हो जाएगा।
क्या है रामसर साइट
रामसर साइट रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की एक आर्द्रभूमि है। वर्ष 1971 में यूनेस्को की ओर से स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि वेटलैंड्स पर कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है। इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है। वहां उस वर्ष सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये गए थे। भारत में इस समय 49 रामसर साइट है।
तैयार होगा इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान : उधवा झील को रामसर साइट बनाने के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान तैयार होगा। पक्षी अभयारण्य को विकसित करने, बटरफ्लाई पार्क बनाने, शैवाल की खेती, इको टूरिज्म को बढ़ावा देने, झील के आसपास के लोगों में जागरूकता लाने, लोगों को रोजगार के नए अवसर बढ़ाने, नई प्रजातियों के पक्षियों को आकर्षित करने और उनके लिए अनुकूलित वातावरण तैयार करने आदि के प्रयास होंगे।