धनबाद न्यूज़: एमपी, एमएलए से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश अखिलेश कुमार ने झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह का मेडिकल स्टेटस जेल सुपरिंटेंडेंट को अविलंब दाखिल करने का आदेश दिया. इधर, संजीव ने आंख में भी परेशानी की शिकायत की है. इस पर एसएनएमएमसीएच के नेत्र रोग विशेषज्ञ ने जांच की.
संजीव की ओर से उनके वकील जावेद ने फिर से कोर्ट में आवेदन दिया. आवेदन में कोर्ट को बताया गया कि विचाराधीन बंदी संजीव सिंह अपने जीवन और सांस के लिए अस्पताल में पिछले सात दिनों से संघर्ष कर रहे हैं. एसएनएमएमसीएच के क्रिटिकल वार्ड में संजीव सिंह 11 जुलाई से भर्ती हैं. पिछले 48 घंटों से उनका यूरिन डिस्चार्ज नहीं हुआ है. पारिवारिक सूत्रों से पता चला है कि उनकी याददाश्त में भी गिरावट आई है. पिछले सात दिनों से वे बिना अन्न-पानी के अस्पताल में पड़े हुए हैं, जो मेडिकल इमरजेंसी है. आवेदन में रांची स्थित रिम्स भेजने के आदेश पर आशंका व्यक्त करते हुए कहा गया है कि रांची स्थित रिम्स में संजीव सिंह की जान को खतरा है. आवेदन में दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल, सीएमसी वेल्लोर के साथ धनबाद के असर्फी अस्पताल, एशियन जालान तथा पाटलिपुत्र नर्सिंग होम में इलाज कराने की मांग की गई है.
‘राज्य सरकार चाहती है कि संजीव जेल में दम तोड़ दें’
रिम्स झारखंड सरकार का है तथा इस मामले के वादी झारखंड सरकार से जुड़े हुए हैं. राज्य सरकार चाहती है कि संजीव सिंह सरकारी अस्पताल या जेल में ही दम तोड़ दें. आवेदन में गौतम नौलक्खा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि किसी विचाराधीन बंदी का इलाज कराने की मांग उसका मौलिक अधिकार है तथा राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसका समुचित इलाज कराए. अधिवक्ता की ओर से यह भी कहा गया कि इससे पूर्व भी कोर्ट संजीव को अपने खर्च पर दांत के इलाज कराने की छूट दे चुका है.