झारखंड: झारखंड सरकार प्रदेश में विकास के दावे तो करती है, लेकिन मंचों से किए दावे और वादे धरातल पर आते-आते हवा-हवाई हो जाते हैं. गुमला में ग्रामीणों की नसीब में सड़क नहीं बल्कि दलदलनुमा पगडंडी है. गुमला जिला मुख्यालय से सटे कई इलाकों में सड़कों की हालत यही है. जहां हल्की बारिश के बाद सड़कें कीचड़ से भर जाती हैं. मानो सड़क ना हो कोई दल दल हो. ये हालत इसलिए है क्योंकि इन इलाकों में कभी भी पक्की सड़क का निर्माण हुआ ही नहीं. शासन हो या प्रशासन, लोगों को उनकी हालत पर छोड़ दिया गया है. लोग इसी कीचड़ से भरे रास्तों से आवाजाही करने को मजबूर हैं. ऐसा भी नहीं है कि सड़क की बदहाली की जानकारी अधिकारियों को नहीं है. स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासनिक पदाधिकारियों को पत्र भी लिखा है. बावजूद अधिकारी इस पर कोई संज्ञान नहीं लेते. लिहाजा लोगों की समस्या जस के तस बनी है.
बीजेपी ने सरकार को घेरा
गुमला में ज्यादातर ग्रामीण इलाकों आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. जहां विकास के नाम पर ग्रामीणों के पास सिर्फ दावे और वादे हैं. वहीं, सड़कों की बदहाली को लेकर बीजेपी प्रदेश सरकार पर हमलावर हो गई है. जहां बीजेपी नेता डॉक्टर अरुण उरांव ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र के विकास को लेकर गंभीर नहीं है.
अगर गुमला जिला मुख्यालय से सटे इलाकों की स्थिति ऐसी है तो दूर दराज के क्षेत्रों में क्या हालात होंगे इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है. इन इलाकों में रहने वाले लोगों की समस्याओं की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. ना तो जनप्रतिनिधि इस पर ध्यान देते हैं और ना ही अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं. यानी कुल मिलाकर जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. अब देखना ये होगा कि खबर दिखाने के बाद भी लोगों की समस्या का समाधान हो पाता है या नहीं.