बजट को संतुलित और लोकोन्मुखी बनाना सबसे बड़ी चुनौती

Update: 2023-01-25 07:00 GMT

राँची न्यूज़: झारखंड सरकार का अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट बनाने का काम शुरू हो चुका है. सरकार आम और खास से बजट पर सलाह और सुझाव मांग रही है. आर्थिक और वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना है कि अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में व्यापक सुधार लाने की जरूरत है. झारखंड के सालाना बजट को संतुलित और लोकोन्मुखी बनाना वित्तीय प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौती है.

बजटीय प्रबंधन पर आर्थिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ अयोध्या नाथ मिश्र से हिन्दुस्तान ने बातचीत की. उनका मानना है कि बजट का आधा हिस्सा ढांचागत विकास पर खर्च करना जरूरी है. इसके अलावा राज्य की जरूरतों पर 30 प्रतिशत और सरकार द्वारा लिए गए कर्ज अदायगी, देनदारियों पर 20 प्रतिशत बजट राशि खर्च करने की प्राथमिकता होनी चाहिए.

बजट बनाने और इसके प्रबंधन में इन बातों का ध्यान नहीं रखने पर हर साल बड़ी राशि पीएल खाते में या निजी खाते में डालना मजबूरी हो जाती है. ऐसे में लेखा महानियंत्रक बजटीय प्रबंधन पर सवाल खड़ा करते हैं. विशेषज्ञ का कहना है कि राज्य बनने के 22 साल बाद भी झारखंड कई मानकों पर राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है. ऐसे बिंदुओं को ध्यान में रखकर बजट तैयार किया जाए तो यह राज्य तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ सकता है.

बजट तैयार करने के पहले ही सावधानी बरतने और प्राथमिकताएं तय कर लेने की जरूरत है. मसलन, लंबित योजनाओं की भौतिक और मौलिक समीक्षा करनी चाहिए, ताकि उन पर आनेवाले खर्च का सही-सही आकलन किया जा सके. पिछले वित्त वर्ष की योजना मद में बची राशि पर भी विचार आवश्यक है, जिससे उसका आर्थिक प्रबंधन करने में सुविधा हो.

क्षेत्रीय आर्थिक-व्यावसायिक प्रबंधन में संतुलन जरूरी गरीबी, बेरोजगारी और पलायन को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय आर्थिक-व्यावसायिक प्रबंधन में संतुलन स्थापित करना होगा तब इस राज्य की कई बीमारियां स्वत समाप्त हो जाएंगी. राज्य की लगभग तीन चौथाई आबादी गांवों में रहती है और खेती-किसानी पर नर्भिर है. इसलिए कृषि आधारित लघु उद्योगों के लिए प्रशक्षिण एवं प्रोत्साहन एवं विकास/ उत्पादों के विपणन की सहकार आधारित व्यवस्था सुनश्चित करना आवश्यक होगा.

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