गुमला में प्रदेश की पहली महिला लाइब्रेरी की शुरुआत

Update: 2023-07-04 12:29 GMT
झारखंड का पहला महिला पुस्तकालय गुमला जिला में शुरू किया गया. वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर राव के द्वारा विधिवत तरीके से पुस्तकालय का उद्घाटन किया गया. गुमला जिला मुख्यालय में स्थापित किए गए इस पुस्तकालय में एक साथ लगभग 400 बच्चियां बैठ कर पढ़ाई कर सकती है. पुस्तकालय के खुलने से शिक्षकों के साथ ही बच्चों में भी काफी खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है. 'बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ' का नारा देने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर किया कि आज समाज में बेटियों को हर तरह की सुविधा देने की आवश्यकता है. इसी सोच को फलीभूत करते हुए गुमला जिला प्रशासन द्वारा गुमला जिला मुख्यालय में बेटियों के लिए एक अलग पुस्तकालय की स्थापना करके आज विधिवत तरीके से उसका उद्घाटन किया गया.
 प्रदेश का पहला महिला पुस्तकालय
उद्घाटन समारोह में राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे सभी लोगों ने पुस्तकालय की स्थिति को देखकर इसकी जमकर प्रशंसा की है. पुस्तकालय में एक साथ 400 से अधिक बच्चियों के बैठकर पढ़ाई करने की क्षमता है. साथ ही साथ पुस्तकालय में स्कूली शिक्षा से लेकर विभिन्न तरह के प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए पुस्तके उपलब्ध कराई गई है. उद्घाटन करने के पश्चात वित्त मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से इस पुस्तकालय का शुरुआत करके जिला प्रशासन ने स्थानीय गरीब बेटियों को पढ़ने के लिए बेहतर माहौल दिया है. जिसके बाद बेटियां पढ़ाई-लिखाई करके अपने जीवन को बेहतर बनाने में पूरी तरह से लग सकती हैं.
प्रशासन की पहल से बदलेगी बच्चियों की जिंदगी
पुस्तकालय के उद्घाटन के दौरान नेताओं और पदाधिकारियों के साथ ही साथ स्कूली बच्चियों भी मौजूद रहे. इस दौरान उनके चेहरे पर जो खुशी थी, वह देखते ही बन रही थी. बच्चियां हाथ में पुस्तक लेकर मानव जीवन को संवारने की कसम खा रही है. जैसे आदिवासी बहुल इलाके में इस तरह की सुविधा नहीं होने के कारण बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था, क्योंकि इलाका गरीब है. ऐसे में बच्चियां चाह कर भी अपनी आवश्यकता के अनुसार पुस्तकें नहीं खरीद सकती थी, लेकिन जिला प्रशासन की एक छोटी सी पहल ने जिस तरह से बालिकाओं के लिए एक अलग पुस्तकालय की स्थापना कर दी है.
होगा बच्चियों का सपना पूरा
ऐसे में बच्चों का सपना पूरा होता हुआ नजर आ रहा है. स्थानीय शिक्षिका ने भी माना कि जैसे आदिवासी बहुल इलाके में इस तरह की सुविधा की काफी आवश्यकता थी, आज खुल गया है. यहां बैठ कर पढ़ाई कर पायेंगे, बल्कि अपने भविष्य के लिए परीक्षा की तैयारी के लिए भी पूरी ईमानदारी से मेहनत कर पाएगी. लंबे समय से एक बेहतर बालिका पुस्तकालय की उम्मीद बनाए बच्चियों के चेहरे पर आज एक अनोखी खुशी देखने को मिल रही थी. बच्चों ने स्पष्ट कहा है कि इस पुस्तकालय के बन जाने के बाद मानों अब उनका सपना पूरा होने में कोई दिक्कत नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उनके लिए पढ़ाई करने के लिए जो व्यवस्था होनी चाहिए, वह अपने बलबूते पर जुगाड़ नहीं कर पाती थी. प्रशासन द्वारा पुस्तकालय स्थापित करके उनके सपने को उड़ान भरने का एक अवसर प्रदान किया गया है.
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