सोहराय पेंटिंग, खरसावां सिल्क, महुआ ओडीओपी अवॉर्ड की रेस में

Update: 2023-07-26 07:24 GMT

राँची न्यूज़: झारखंड के उत्पाद अपनी विशेषता के साथ अब अपनी अलग पहचान बनाने लगे हैं. कई जिलों के ऐसे ही उत्पाद देश के साथ-साथ अब दुनिया के मानचित्र पर भी अपनी धमक देने की कतार में आ गए हैं. इसी विशेषता के कारण भारत सरकार भी यहां के इन उत्पादों को बाजार देने में जुट गई है.

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला, एक उत्पाद में हजारीबाग की सोहराय पेंटिंग, चतरा की सब्जी सहित झारखंड के 24 उत्पाद ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) अवॉर्ड की रेस में शामिल हैं. यही नहीं सरायकेला-खरसावां का खरसावां सिल्क, चाईबासा का कस्टर्ड एप्पल, खूंटी का लाह, लातेहार का महुआ को भी इस पुरस्कार की कतार में सूचीबद्ध किया गया है.

इन उत्पादों को सूचीबद्ध करने से एक तरफ हजारीबाग की सोहराय पेंटिंग की तरह आने वाले दिनों में इन्हें भी राष्ट्रीय पहचान तो मिलेगी ही दूसरी ओर इन उत्पादों का विदेशी निर्यात भी किया जा सकेगा. ओडीओपी को लेकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग की ओर से जारी सूची में झारखंड के 24 उत्पादों को शामिल किया गया है.

देश के 1093 उत्पाद अवॉर्ड के लिए पेश कर रहे दावेदारी

इस सूची के लिए देश के सभी जिलों को मिलाकर कुल 1093 उत्पाद चुने गए हैं. इसमें झारखंड के 24 उत्पादों को शामिल किया गया है. इनमें सोहराय पेंटिंग, तसर सिल्क, पैठकार पेंटिंग, काजू, सिल्वर ज्वेलरी आदि प्रमुख उत्पाद हैं. दरअसल, मंत्रालय एक जिला, एक उत्पाद को लेकर एक प्रतियोगिता करवा रहा है. इसमें देश के सभी जिले भाग लेंगे. इसके लिए 31 जुलाई तक आवेदन करना है. इसका उद्देश्य भारतीय उत्पादों को विदेशों में निर्यात करने के लिए वस्तु के उत्पादन, गुणवत्ता, ब्रांडिंग और पैकेजिंग को बेहतर करना है. जिससे देश की जीडीपी को बढ़ाया जा सके और रोजगार के साधनों में भी वृद्धि की जा सके.

एक से पांच स्कोर का होगा मूल्यांकन

क्या है ओडीओपी

एक जिला एक उत्पाद योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत आने वाली इस योजना का उद्देश्य सभी राज्यों का अपना एक उत्पाद ऐसा होगा जिससे उसे जिले व राज्य में विशेष पहचान मिलेगी. इस योजना के द्वारा बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना भी उद्देश्य है.

ओडीओपी टूल किट के अनुसार, इस प्रतियोगिता में विभिन्न बिंदुओं पर एक से पांच का स्कोर दिया जाएगा. इसमें उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कितनी ट्रेनिंग दी गई, मशीनों का स्तर क्या है, उत्पाद का यूनिक नाम हो, पैकेजिंग और तकनीकी के क्षेत्र में क्या काम किए गए, उत्पाद की बेहतरी के लिए क्या-क्या शोध किए गए, कामगारों को कितनी और किस तरह की ट्रेनिंग दी गई आदि बिंदुओं पर स्कोरिंग की जाएगी. इसमें एक अप्रैल, 2022 से 31 जुलाई, 2023 तक किए गए कार्यों को केंद्र में रखा जाएगा.

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