केंद्र फॉरेस्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया सरल बनाए

Update: 2023-07-18 08:59 GMT

राँची न्यूज़: हेमंत सरकार ने केंद्र से झारखंड में जंगल-झाड़ी पर भी फॉरेस्ट एक्ट लागू होने से विकास कार्यों में देरी की समस्या रखी है. राज्य सरकार ने नीति आयोग के माध्यम से केंद्र से यह मांग की है कि विकास कार्यों की राह में जंगल-झाड़ी आने पर फॉरेस्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया को केंद्रीय उपक्रमों की तरह सरल बनाई जाए. राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों का चौड़ीकरण, बिजली का संरचना विकास, नए हाइवे के निर्माण आदि कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में देरी हो रही है.

वर्तमान में झारखंड का लगभग 33 फीसदी क्षेत्रफल वन के रूप में अधिसूचित है. हालांकि, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के आलोक में 1930 के दौरान किए सर्वेक्षण के आधार पर जंगल या झाड़ी को वन भूमि के रूप में देखता है. 100 वर्ष पूर्व के सर्वे के आधार पर आज जहां एक भी पेड़ नहीं बचे हैं. वह भी जंगल या झाड़ी के आधार पर वन भूमि के रूप में अधिसूचित है. इसके लिए भी फॉरेस्ट क्लीयरेंस की पूरी प्रक्रिया अपनानी होती है. इससे राज्य में विकास में निवेश को आकर्षित करने में बाधा उत्पन्न होती है. पर्यावरण मंजूरी परियोजनाओं के

क्रियान्वयन में देरी का कारण बन रही है. राज्य सरकार का मानना है कि 100 साल पुराने सर्वेक्षण पर ध्यान केंद्रित करने से बेहतर होगा कि अधिसूचित वन क्षेत्र के लिए पर्यावरण मंजूरी की व्यवस्था अनिवार्य रखी जाए. नीति आयोग के समक्ष राज्य सरकार ने इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा है.

सूत्रों के अनुसार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आदेश को संशोधित करने के लिए भारत सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है. नीति आयोग की ओर से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को इस मसले का समाधान जल्द निकालने के लिए कहा गया है.

राज्य के उपक्रमों के लिए प्रक्रिया सरल हो

यह विषय भी नीति आयोग के समक्ष रखा गया है कि फॉरेस्ट एक्ट के मौजूदा प्रावधान के अनुसार सरकार या प्रोजेक्ट डेवलपर के द्वारा किसी भी परियोजना के लिए वन भूमि का उपयोग किया जाता है तो उसे प्रतिपूरक वनरोपण के लिए भूमि प्रदान करनी होगी. जबकि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को इससे छूट दी गई है वहीं, राज्य सार्वजनिक उपक्रमों को छूट उपलब्ध नहीं है. हेमंत सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की तरह राज्य सार्वजनिक उपक्रमों के लिए सरल प्रक्रिया की वकालत की है. इस मसले का भी जल्द समाधान पर जोर दिया गया है.

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