रांची सहित सात शहरी जलापूर्ति सेटअप शहरी निकायों को होगा हैंडओवर

Update: 2024-04-30 05:31 GMT
Ranchi : केंद्र सरकार के कड़े रुख के बाद अब झारखंड राज्य की सभी शहरी जलापूर्ति स्कीम और पूरा सेटअप शहरी निकायों (नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद) के हवाले होगा. नगर विकास विभाग के अधीन कार्यरत शहरी निकायों को रांची, झमुरी तिलैया, कोडरमा, मानगो, डाल्टनगंज, गढ़वा और गुमला शहरी जलापूर्ति का पूरा सेटअप जल्द इनके हवाले कर दिया जाएगा. इसको लेकर पिछले दिनों से मुख्य सचिव एल ख्यांगते की अध्यक्षता में हुई बैठक में सहमति बन गयी. रांची नगर निगम सहित अन्य शहरी निकायों को इसके लिए जल्द ही अपनी व्यवस्था पूरी करने का निर्देश दिया है, ताकि आचार संहिता खत्म होते ही उसे हैंडओवर किया जा सके. मालूम हो कि शहरी जलापूर्ति भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत पूरी तरह से शहरी निकायों को ही देखनी है. मगर झारखंड एक ऐसा राज्य है, जहां पर शहरी निकाय और पेयजल विभाग दोनों मिलकर कार्य करते हैं. इसको लेकर दोनों विभागों के बीच हमेशा रस्साकस्सी चलती रहती है. पूर्व में भी इसको लेकर कई पहल हुए, मगर रांची नगर निगम अपने संशाधनों का रोना रो कर इससे बचता रहा. मगर अब केंद्र सरकार का शहरी विकास मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि शहरी जलापूर्ति का पूरा काम लोकल बॉडी (शहरी निकाय) ही देखेंगे नहीं तो केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि रोक दी जाएगी. इसके बाद वर्तमान सरकार रेस हुई और पेयजल विभाग, नगर विकास विभाग और शहरी निकायों के साथ बैठक करके मुख्य सचिव ने सभी को इसकी तैयारी पूरी करने का निर्देश दिया. हस्तांतरण के बाद पेयजल विभाग अब केवल केंद्र एवं राज्य संपोषित ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं पर ही कार्य करेगा. यानी कि पेयजल विभाग शहरी जलापूर्ति से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगा.
आठ शहरी जलापूर्ति का सेटअप शहरी निकायों को किया जा चुका है हैंडओवर
इससे पूर्व सरकार ने आठ शहरी जलापूर्ति का सेटअप शहरी निकायों को हैंडओवर कर दिया है. जिसमें गिरिडीह, दुमका, देवघर, आदित्यपुर, हजारीबाग, चाईबासा, चास और बोकारो शहरी जलापूर्ति शामिल है. शेष बची अन्य को भी जल्द से जल्द शहरी निकायों को सौंपने की तैयारी चल रही है.
सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने से कंज्यूमरों को होगा फायदा
वाटर सप्लाई लोगों के लिए बहुत जरूरी चीज है. वाटर सप्लाई का सिंगल विंडो सिस्टम यानी कि एक विभाग ही जिम्मेवार हो जाएगा तो इससे कंज्यूमरों को फायदा होगा. अब कंज्यूमर और नगर निगम दोनों एक-दूसरे के प्रति उत्तरदायी हो जाएंगे. डैम, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, पाइप लाइन लीकेज, वाटर कनेक्शन और वाटर टैक्स का पूर्ण उत्तरदायी अब नगर निगम होगा.
अभी रांची शहरी जलापूर्ति व्यवस्था ऐसे संचालित हो रही है कि उत्पन्न होते रहता है विवाद
रांची शहरी जलापूर्ति के चार सेटअप जिसमें रुक्का, हटिया, गोंदा हिल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और बूटी वाटर सप्लाई स्कीम 1962 की है.
पेयजल विभाग उपरोक्त तीनों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से रॉ वाटर का ट्रीटमेंट करके उसे राजइजिंग और डिस्ट्रब्यूशन लाइन के जरिए शहर के विभिन्न जलमीनार एवं संप में भेजने का काम करता है. रुक्का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी को बूटी जलशोधन केंद्र भेजा जाता है, जिससे शहर के हिस्सों में सप्लाई होता है.
पेयजल विभाग पहले खुद से और वर्तमान में निजी एजेंसी के जरिए वाटर ट्रीटमेंट एवं जलागारों तक पानी राइजिंग एवं डिस्ट्रिब्यूयशन लाइन के जरिए पानी भेजता है. निजी एजेंसी के ही जिम्मे ऑपरेशन एवं मेंटेनेस है.
ट्रीटमेंट प्लांट और बूटी जलशोधन केंद्र का काम जलमीनार तक केवल पानी पहुंचाना है.
इसके बाद जिम्मेदारी नगर निगम की शुरू हो जाती है. नगर निगम घर-घर वाटर कनेक्शन देने और वाटर टैक्स लेने का काम करता है. यह टैक्स संग्रहित करके उसे पेयजल विभाग को देना है. मगर नगर निगम वाटर टैक्स खुद रख लेता है. यहां से पेयजल विभाग और नगर निगम के बीच विवाद उत्पन्न होता है.
नगर निगम और पेयजल विभाग के बीच विवाद की मुख्य वजहें
पेयजल विभाग शहर के 8 लाख लोगों को पानी देने का दावा करता है. मगर नगर निगम पहले अविभाजित बिहार और अब झारखंड गठन के 24 साल बाद भी शहर के अवैध कनेक्शन पर लगाम लगाने में सफल नहीं हुआ है.
नगर निगम के अनुसार अब शहर में लीगल कनेक्शन महज 70-80 हजार ही है. यानी बाकी कनेक्शन या तो अवैध या फिर मनमाने तरीके से पानी की चोरी हो रही है.
पूर्ववर्ती रघुवर सरकार में शहर के वाटर कनेक्शन को वैध करने के लिए नियमों में सरलीकरण किया. यानी कि अब कोई व्यक्ति जो अवैध रूप से पानी कनेक्शन लिया हुआ है, वह अपने घर होल्डिंग टैक्स का रसीद और पहचान पत्र देकर उसे लीगल करा सकता है. मगर इस नियम को भी नगर निगम ठीक से फ्लो नहीं करा पाया.
कुल सप्लाई का वाटर टैक्स नगर निगम वसूल नहीं कर पाता है और उसका हिसाब-किताब कभी भी ठीक ढंग न रखा और न ही विभाग को दिया.
 
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