स्वचालित अनाज विश्लेषक मशीनों की खरीद में घोटाला
टेंडर में ब्रांड नाम लिखने से हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी को फायदा हुआ
रांची: राज्य की कृषि बाजार समिति मंडियों में ऑटोमैटिक ग्रेन एनालाइजर मशीन की खरीद में झारखंड स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों ने एक स्टार्टअप कंपनी से मिलकर लाखों रुपए का घपला किया। झारखंड कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की टेंडर में ही मशीन के ब्रांड का उल्लेख था, इसलिए अन्य कंपनियां इसमें शामिल नहीं हो पाईं। करीब 13.5 लाख की दर से 9 मशीनें अनाज की गुणवत्ता जांचने के नाम पर खरीदी गई थी। खास बात यह है कि यह मशीनें उन मंडियों के नाम पर भी खरीद ली गईं, जहां कई साल से किसान फसल बेचने नहीं आ रहे हैं। अब खरीदी के 6 माह बाद भी इन मशीनों को न राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल से जोड़ा गया है और न ही कभी एक दाना अनाज की जांच हुई।
कृषि विभाग ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के जरिए मशीनों की खरीदी के लिए 9 सितंबर 2022 को टेंडर निकाला था। झारखंड मार्केटिंग बोर्ड के एमडी मनोज कुमार का नाम सक्षम प्राधिकारी के रूप में दर्ज था। टेंडर की शर्त के मुताबिक मशीन का मेक एमएटीटी (मैट) व मॉडल ‘मैट ऑटोमेटिक इंटीग्रेटेड मॉइश्चर मीटर’ रजिस्टर्ड ब्रांड होना चाहिए। इस शर्त से हैदराबाद की नेबुला इनोवेशन प्रा. लि. को फायदा पहुंचाया गया, क्योंकि यही कंपनी मैट नाम से ऑटोमैटिक ग्रेन एनालाइजर मशीन बनाती है।
टेंडर शर्त के कारण शामिल नहीं हो पाई अन्य कंपनियां: टेंडर में मशीन के ब्रांड का नाम दिए जाने के कारण खरीद प्रक्रिया में सिर्फ हैदराबाद की नेबुला इनोवेशन कंपनी शामिल हुई और उससे ही मशीनें खरीद ली गईं। नेबुला ने जनवरी में सभी मशीनों की सप्लाई झारखंड स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड रांची को कर दी। टेंडर में अन्य कंपनियां शामिल नहीं हो पाईं। जबकि कई और कंपनियां ऑटोमेटिक ग्रेन एनलाइजर बना रही हैं। इनमें इंटेलो लैब्स, एजीनेक्सट, उपजाओ, गोमाइक्रो व सीडीएसी जैसे नाम शामिल हैं।