जमशेदपुर न्यूज़: धालभूम के अनुमंडल पदाधिकारी पीयूष सिन्हा ने एक बुजुर्ग पिता को उनका अधिकार दिलाने के लिए मजिस्ट्रेट और सिदगोड़ा पुलिस को बारीडीह बस्ती के आजाद पथ जाने का आदेश दिया था.
परंतु इससे पहले आरोपी अनिल कुमार राय ने अपने पिता राम पुनित राय को कमरा सौंप दिया. इसके कारण मजिस्ट्रेट निशा कुमारी को बल प्रयोग कर कब्जा दिलाने की जरूरत नहीं पड़ी. यह जानकारी अनुमंडल पदाधिकारी ने दी है. राम पुनित राय ने अनुमंडल पदाधिकारी सह माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम-2007 के तहत पदाधिकारी की कोर्ट में 2021 में मामला दायर किया था. केस की सुनवाई के बाद 20 अगस्त 2022 को न्यायालय ने इस मामले में राम पुनित राय के दो पुत्रों अनिल कुमार राय और सुनील कुमार राय को हर माह पांच-पांच हजार रुपये और घर के तीसरे तल का एक कमरा देने का आदेश दिया था. बार-बार निर्देश के बावजूद अनिल कुमार राय ने पिता को कमरा नहीं दिया. बीच में नियमित पैसे नहीं देने की भी शिकायत हुई.
तब बीते 2 मई को अनुमंडल पदाधिकारी ने कार्यपालक दंडाधिकारी के साथ स्थल निरीक्षण किया था. उन्होंने उस कमरे को बंद पाया और पता चला कि अनिल कुमार राय उस कमरे का उपयोग भी नहीं करता है. जब अनुमंडल पदाधिकारी ने उसे बुलाकर इसके बारे में पूछा तो उसने इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया.
कब्जा दिलाने का दिया गया था आदेश
एसडीएम ने अपने पूर्व के आदेश के अनुपालन को लेकर आदेश पारित किया कि अगर अनिल राय पिता को कमरा उपलब्ध नहीं कराता है को मजिस्ट्रेट राम पुनित राय को कब्जा दिला दें. अनुमंडल पदाधिकारी ने ऐसे सभी पुत्र-पुत्रियों को चेतावनी दी है, जिनका मामला चल रहा है और जो अपने आश्रित माता-पिता को भरण-पोषण खर्च नहीं दे रहे हैं. ऐसे दर्जनों मामले चल रहे हैं.