धनबाद न्यूज़: गोविंदपुर के रेजली बांध का सौंदर्यीकरण होगा. इसकी तैयारी को मंजूरी मिल गई है. इसके लिए राशि का भी आवंटन कर दिया गया है. सौंदर्यीकरण के लिए डीएमएफटी से पांच करोड़ रुपए दिए गए हैं. रेजली बांध जिला परिषद का है और यह करीब 17 एकड़ में फैला है.
गोविंदपुर की शान माने जाने वाले रेजली बांध की स्थिति फिलवक्त बहुत ही खराब है. यह गाद व जलकुंभी से अटा पड़ा है. इसकी जमीन पर भी कब्जा कर लेने के आरोप लगते रहे हैं. जिला परिषद बोर्ड की बैठक में रेजली बांध के सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव लाया गया था. बोर्ड ने सर्वसम्मति से इसकी मंजूरी दी थी. कागजी कार्रवाई शुरू हुई और इसके सौंदर्यीकरण के लिए डीपीआर तैयार की गई है. लघु सिंचाई विभाग को रेजली बांध के सौंदर्यीकरण की जिम्मेवारी सौंपी गई थी.
लघु सिंचाई विभाग की ओर से बनी डीपीआर में रेजली बांध के सौंदर्यीकरण योजना में टापू पर रेस्टोरेंट बनाने का भी प्रस्ताव है. वहां तक जाने के पुल बनाया जाएगा. इसके जल ग्रहण क्षेत्रों की पहचान कर बांध में पानी आने के रास्तों को दुरुस्त किया जाएगा. जमीन की मापी की जाएगी और अगर अतिक्रमण की जानकारी मिली तो फिर इसे खाली कराया जाएगा.
जैप कैंप में यहां से होती थी पानी की आपूर्ति:
इस बांध के तत्कालीन बीएमपी (अब जैप) में पानी की आपूर्ति होती थी. गोविंदपुर बाजार, करमाटांड़, अमरपुर पंचायत के लोग इसके पानी पीने के लिए भी करते थे. देख-भाल व रख-रखाव के अभाव में रेजली बांध अब जलकुंभियों का ढेर बन कर गया है.
● 17 एकड़ जमीन में फैला है रेजली बांध
● रेजली बांध में कभी होता था नौका विहार
● टापू में रेस्टोरेंट खोलने की है योजना
कभी गोविंदपुर का रमणीक स्थल था:
रेजली बांध कभी गोविंदपुर का रमणीक स्थल था. यहां नौका विहार भी होता था. बांध में रंग-बिरंगी मछलियां अटखेलियां करती रहती थीं. सुबह शाम स्थानीय व बाहर से लोग यहां घुमने आते थे. नौका विहार भी करते थे. जिला परिषद की उपेक्षा के कारण रेजली बांध की स्थिति खराब हो गई है.
1882 में बनकर तैयार हुआ था बांध: सरकारी कागजात बताते हैं कि रेजली बांध अंग्रेजों के जमाने में बना था. गोविंदपुर उस वक्त अनुमंडल था. तत्कालीन अंग्रेज अधिकारी रिश्ले ने इसका निर्माण कराया था. उन्हीं के नाम पर इसे रिश्ले बांध कहा जाता था. कालांतर में रिश्ले अपभ्रंश होकर रेजली हो गया. बांध में बीचोंबीच एक टापू नुमा स्थल है. लोकोक्ति है कि यहां अंग्रेज अधिकारी छुट्टियां मनाने आते थे. टापू पर विश्राम गृह व पार्क था. टापू पर पहुंचने के लिए अस्थायी पुल का भी निर्माण किया गया था. इसके अवशेष आज भी हैं.