राँची न्यूज़: झारखंड में अब किसी भी मां और शिशु की मौत होने पर उनके शव का वर्बल ऑटोप्सी (मौखिक परीक्षण) किया जाएगा. भारत सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार ने भी उसकी रिपोर्टिंग अनिवार्य कर दी है. परीक्षण के बाद मौत के कारणों का पता चलने पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में पाई गयी कमियों को दूर किया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से मातृत्व स्वास्थ्य कोषांग के नोडल अफसर ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज और सभी सिविल सर्जनों को इस बाबत निर्देश जारी कर दिया है. नोडल अफसर ने सभी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक और सिविल सर्जनों को कहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में आपके क्षेत्र/संस्थान में हुई सभी मातृ मृत्यु की जांच/मौखिक शव परीक्षण कराकर उसकी रिपोर्ट कराएं. साथ ही सभी केसों की इंट्री मातृ प्रसवकालीन शिशु मृत्यु निगरानी प्रतिक्रिया पोर्टल (एमपीसीडीएसआर) एवं हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम में 15 अप्रैल तक दर्ज कराना
सुनिश्चित करें. इसके लिए बीते 22 मार्च को एमपीसीडीएसआर पोर्टल पर सभी संबंधित कर्मियों को राज्यस्तरीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है.क्या है वर्बल ऑटोप्सी
मौत के कारणों का पता लगाने के लिए ऑटोप्सी की जाती है. इसमें मृत मरीज के बेसरा को निकालकर जांच की जाती है कि उसे कौन सी बीमारी थी. ऑटोप्सी वैसे मरीजों की होती है, जिनकी बीमारी का पता नहीं चलता है. वहीं, वर्बल ऑटोप्सी में डॉक्टरों की टीम अज्ञात बीमारी से मर चुके मरीजों की भर्ती पर्ची व जांच रिपोर्ट पर आपस में गहन विमर्श करते हैं. इसमें मुख्य रूप से कॉमन लक्षण खोजा जाता है. इसके आधार पर आगे इसी प्रकार के लक्षण वाले मरीजों के इलाज में बदलाव किया जाता है. इसमें भी 20 फीसदी तक सफलता मिलने का दावा किया जाता है.