रांची के राज हॉस्पिटल पर एक बार फिर लापरवाही का आरोप लगा

हिंदपिढ़ी थाने में रांची के राज हॉस्पिटल (Raj Hospital Ranchi) में हुए एक मरीज के मौत के मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है. राज अस्पताल में भर्ती के मरीज के आयुष्मान भारत से कार्ड से इलाज नहीं करने की वजह से हुए मौत के मामले में यह प्राथमिकी दर्ज की गई है.

Update: 2021-11-27 10:49 GMT

जनता से रिश्ता। हिंदपिढ़ी थाने में रांची के राज हॉस्पिटल (Raj Hospital Ranchi) में हुए एक मरीज के मौत के मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है. राज अस्पताल में भर्ती के मरीज के आयुष्मान भारत से कार्ड से इलाज नहीं करने की वजह से हुए मौत के मामले में यह प्राथमिकी दर्ज की गई है.

क्या है पूरा मामला
झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग (Jharkhand State Human Rights Commission) ने रांची के हिंदपिढ़ी थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई है. दरअसल, पूरा मामला राज अस्पताल में भर्ती एक मरीज के आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज नहीं करने और उसकी मौत के मामले से जुड़ा हुआ है. इसमें राज अस्पताल के जोगेश गंभीर और अस्पताल के सीएमओ डॉ अजीत कुमार के खिलाफ हिंदपीढ़ी थाने में केस दर्ज किया गया है. मामले में झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग के आदेश पर आयोग के अवर सचिव सुनील कुमार झा के द्वारा 24 नवंबर को दिये गये लिखित शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज किया गया है.
राज अस्पताल में हुई थी महिला की मौत
राज्य मानवाधिकार आयोग में पूजा देवी की शिकायत पर केस नंबर 243/ 19 दर्ज हुआ. जिसमें शिकायतकर्ता महिला ने इस बात की जानकारी दी थी कि उनके पति को राज अस्पताल में इलाज के लिए 29 मार्च 2019 को भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान उनका एमआईआर भी हुआ, लेकिन इलाज के दौरान हार्ट अटैक से उनका स्वास्थ्य और खराब होता चला गया. इसी दौरान अस्पताल प्रबंधन ने पूजा देवी को इलाज के लिए 1.50 लाख रुपये जमा कराने को कहा. लेकिन पूजा देवी रुपये जमा करने में असमर्थ थीं. जिसके बाद ने उन्होंने इस बात की जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी कि उनके पास इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कार्ड लेने से इनकार दिया और ठीक से इलाज नहीं किया. इलाज के दौरान पूजा देवी की पति की मौत हो गई. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने पूजा देवी को उसके पति का शव 51 हजार रुपये जमा कराने के बाद दिया. जिसके कारण महिला ने इस बात की शिकायत आयोग के पास की थी. जिसके बारे आयोग ने मामले में डॉयरेक्टर स्वास्थ्य सेवा से मामले में रिपोर्ट मांगी थी. आयोग ने रिपोर्ट और परिस्थिति जनक साक्ष्य के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मामले में अस्पताल प्रबंधन में घोर लापरवाही बरती है जो एक अपराध है. जिसके बाद झारखंड मानवाधिकार आयोग ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्णय लिया.


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